Jan 9, 2010

ऐसे ना ठुकराओ-ज़बरदस्त १९८५

जब से संगीत उत्पादक यन्त्र संयंत्र सस्ते और आम आदमी की पहुँच में
आये हैं तबसे हमें बैलगाड़ी, रेलगाड़ी, टेम्पो, रिक्शा, ट्रक, ट्रक्टर-ट्रोली
इत्यादि में गाने बजते मिल जाते हैं। अभी एक सवारी का जिक्र हमने
नहीं किया है वो है 'कार' । आपको कभी कभार ऐसी कारें ज़रूर मिली होंगी
जिसमे से धम धम की ध्वनियाँ निकल रही होती हैं, उसके अलावा कुछ
सुनाई नहीं देता। ऐसा लगता है मानो कोई धौंकनी चल रही हो या कपड़ों
की धुलाई हो रही हो। इन संगीत प्रेमियों को केवल धम धम से मतलब होता
है, गाना चाहे कोई भी हो। खुद से ज्यादा वे दूसरों को सुनाने का प्रयत्न करते हैं।
वैसी ही धम धम की ध्वनि इस गीत में भी है, मगर इसमें आपको बोल भी सुनाई
देंगे। आशा भोंसले की आवाज़ में ये गीत है फिल्म ज़बरदस्त से जो सन १९८५ की
फिल्म है। इस फिल्म में उनके साथ नायक हैं-सनी देवल । इस गीत में राहुल देव बर्मन
ने भी अपनी आवाज़ फिट की है । गीत कर्णप्रिय है और कम सुना हुआ भी।
बांसुरी का उपयुक्त प्रयोग हुआ है इस गीत में।



गीत के बोल:

आ, ऐसे ना ठुकराओ
ऐसे ना, ओ ठुकराओ ए सनम
अब के गए तो फिर ना आयेंगे हम
आ, ऐसे ना ठुकराओ ए सनम
हो, अब के गए तो फिर ना आयेंगे हम
आ.....

आ, कैसे हम तुझसे कहें
अब कोई सपना नहीं
भीगी आँखों में तेरे सिवा
तडपे दिल जिसके लिए
कोई ऐसा दिलवर नहीं
सूनी रातों में तेरे सिवा

हा हा हा, हा हा , हा हा हा हा

हो, ऐसे ना ठुकराओ ए सनम
अब के गए तो फिर ना आयेंगे हम
हा.....

हाँ, हम तो टूटा दिल लिए
ये जलते आंसू पिए
भटकेंगे जाने कहाँ कहाँ
पर इतना तुम भी सुनो
के चाहनेवाला कोई
मिलता है मुश्किल से जाने जां
हा हा हा, हा हा हा

हो, ऐसे ना ठुकराओ ए सनम
अब के गए तो फिर ना आयेंगे हम
हा.....

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP