नैन द्वार से मन में वो आ के -सावन १९५९
ऐसे टुकड़े कभी कभार ही बना करते हैं। हिंदी फिल्म संगीत भक्त
केवल मदन मोहन और राहुल देव बर्मन को याद करते हैं इस प्रकार
के गीतों के लिए जिनमे गति परिवर्तन होता है। आपको वे गीत भी
बता दूं जिनका घिसा पिटा जिक्र वे अक्सर सभी जगह किया करते हैं
"जा जा रे जा साजना-अदालत" और "आया हूँ मैं तुझको ले जाऊँगा
-मनोरंजन" ।
सन १९५९ की फिल्म सावन में हंसराज बहल का संगीत था । हंसराज बहल
बहुमुखी प्रतिभा वाले संगीतकार हैं । याद कीजिये सिकंदर-ए-आज़म का
गीत "जहाँ डाल डाल पे सोने की चिड़िया करती है बसेरा" या फिर फिल्म
मिलन का "हाय जिया रोये" जिसकी गिनती लता मंगेशकर के गाये
सर्वश्रेष्ठ गीतों में होती है। इस गीत में भी एक धीमा टुकड़ा है अंत में
लता मंगेशकर की आवाज़ में जिसको आप एक बार सुनेंगे तो बारम्बार
सुनने का मन करेगा।
गीत के बोल:
नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
हाय, रसिया
हाय रे कोई छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये
हाय कोई छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये, हाय
नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
नैन रसीले चाँद सा मुखड़ा
सुन्दर रूप सुहाना
पर बेदर्दी दर्द ना समझे
जाने बस तडपाना
फिर भी मन तड़पाने वाला
मन का मीत कहाए
हाय, रसिया
हाय रे कोई छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये
हाय कोई छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये, हाय, हाय
नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
जब वो आये लेकर आये
दिन में चाँद सितारे
जब वो जाए लेकर जाए
सब अरमान हमारे
देख उसे दिल तडपे और
बिन देखे रहा ना जाए
हाय, रसिया
हाय रे कोई छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये
हाय कोई छलिया
हाय जी एक छलिया
छल किये जाए
जियरा लिए जाए
चैन नहीं आये, हाय, हाय
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नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
नैन द्वार से मन में वो आ के
तन में आग लगाये
पागल मन की पागल बातें
कौन इसे समझाए
खुद ही बैठा रोग लगाये
खुद ही नीर बहाए
ना सये ना सोने दे ये
सारी रात जगाये
नैन द्वार से मन में वो आ के
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Nain dwar se man mein wo aa ke-Sawan 1959
Artists: Amita, Bharat Bhooshan,
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