Apr 29, 2010

हे बाबा हे बाबा-मंजिल मंजिल १९८४

adii में एक और कड़ी जोड़ लीजिये। कड़ी में कड़ी जोड़ना और
ढंग से बनाई गई कढ़ी खाना मुझे भाता है मगर वो अजमेर वाली कढ़ी
नहीं जिसे खा के सब जगह से धुआं निकलने लगता है। अजमेर में
एक चाट वाला है जिसके यहाँ समोसे कचौड़ी के लिए कम और उसके
साथ दी जाने वाली कढ़ी खाने के लिए ज्यादा भीड़ लगा करती है।
कढ़ी का उच्चारण कुछ यूँ होता है वहां-'कड्डी' जैसे चड्डी की कोई
बहिन हो या कबड्डी की कोई कजिन । आप जनता को वहां दोने हाथ
में लिए पसीना बहाते देख सकते हैं। पसीना आपको सब जगह से
निकलता दिखाई देगा , जिन जिन जगह से आपने कभी ना निकलता
देखा हो वहां वहां से भी। शायद ही कोई तेज़ चीज़ बाकी बची हो जो
दुकानदार कढ़ी में ना डालता हो।

कामचोरी और अलाली के ज़माने में चटनी कौन बनाये, जिसको बनाने
में समोसे से ज्यादा वक़्त लगता है। कढ़ी बनना चालू हो गई , ताज़ी तो
चल ही जाती है, बासी दौड़ लगाती है। बाकी की कढ़ी चर्चा फिर कभी।

अब गाने के बारे में थोड़ी चर्चा हो जाए। ये गीत मुझे पसंद है क्यूंकि इसमें
गायकी के अलावा वाद्य यंत्रों की जमावट भी ज़बरदस्त है। मजरूह के लिखे
गीत पर तर्ज़ बनाई है आर डी बर्मन ने। गाया है इसको आशा भोंसले ने
जिनके लिए पंचम ने एक से बढ़कर एक गीत बनाये। गीत किस नायिका
पर फिल्माया गया है मुझे नहीं मालूम । गीत में नाचनेवालों की पोशाकें
काफी चमकीली और तंग हैं। ऐसा लगता है कि अब गई तब गई।

गीत में आपको ब्रेक डांस, एक्सेलरेटर डांस और तमाम आधुनिक नृत्य
विधा के नमूने देखने को मिल जायेंगे। हिंदी गीत के वीडियो की यही
खासियत है उसमे रम्भा साम्बा से लेकर उर्वशी मेनका सब मिल जायेगा
आपको, कहीं भटकने की ज़रुरत नहीं।



गीत के बोल:

हा आ ,हे बाबा हे बाबा
मिलते हैं एक दिन हे बाबा
रे बाबा रे बाबा
मर गए एक दिन रे बाबा

हा आ ,हे बाबा हे बाबा
मिलते हैं एक दिन हे बाबा
रे बाबा रे बाबा
मर गए एक दिन रे बाबा
हा आ

ओये ओये ओये ओये ओये ओये ओये
ओ मतवाली शाम वो घडी वादी की
छाया था जो दिल पे वो खुमार भूलता नहीं

ओ मेरी जान ओ मेरी जान
बन के बेगाना जा चुका तू फिर भी
वापस आ जाने का इंतज़ार भूलता नहीं

हा आ, हे बाबा हे बाबा
मिलते हैं एक दिन हे बाबा
रे बाबा रे बाबा
मर गए एक दिन रे बाबा
हा आ, हा आ, हाय

इकी चिकी ए चिकी कि चिकी कि चिकी हे या

हो, महफ़िल हो कोई तू फिरे आँखों में
हर चेहरे से झांके तू ही बार बार प्यार में
ओ मेरी जान ओ मेरी जान

बाहर गलियों में भी मिला जब कोई
उसका दामन खींचा तेरे नाम से पुकार के

आ, हे बाबा हे बाबा
मिलते हैं एक दिन हे बाबा
रे बाबा रे बाबा
मर गए एक दिन हे बाबा

हे बाबा हे बाबा
मिलते हैं एक दिन हे बाबा
रे बाबा रे बाबा
मर गए एक दिन हे बाबा
.......................................................................
He baba-Manzil manzil 1984

Artists: Sunny Deol, DImple Kapadia, Unknown dancer

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