ये रातें नयी पुरानी-जूली १९७५
राजेश रोशन और उनके पिता रोशन के संगीत में एक बात तो
मिलती जुलती है वो ये कि उन दोनों ने लता मंगेशकर के लिए
अतिरिक्त मधुरता वाली धुनें रचीं। राजेश रोशन की पहली फिल्म
जूली में भी एक मधुर गीत है लता का गाया हुआ। पिछली कुछ
पोस्ट से हम रंगीन युग के गीत देखते आ रहे हैं। एक और देख
लेते हैं उसके बाद कुछ काले-पीले युग के गीत पर नज़र डालेंगे।
फिल्म में ये गीत युवा रीता भादुड़ी पर फिल्माया गया है। गीत
लिखा है आनंद बक्षी ने।
गीत के बोल:
ये रातें नयी पुरानी
ये रातें नयी पुरानी
आते आते जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें नयी पुरानी
आते आते जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें
आ रहा है देखो कोई जा रहा है देखो कोई
सबके दिल हैं जागे जागे सबकी आँखें खोयी खोयी
ख़ामोशी करती है बातें
ये रातें नयी पुरानी
आते आते-जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें
क्या समा है जैसे ख़ुशबू उड़ रही हो कलियों से
गुजरी हो निंदिया में पलकों की गलियों से
सुन्दर सपनों की बारातें
ये रातें नयी पुरानी
आते आते जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें
कौन जाने कब चलेंगी किस तरफ से ये हवाएं
साल भर तो याद रखना ऐसा ना हो भूल जाएँ
इस रात की मुलाकातें
ये रातें नयी पुरानी
आते आते जाते कहती हैं कोई कहानी
ये रातें नयी पुरानी
आते आते जाते कहती हैं कोई कहानी
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