May 5, 2010

मत छेड़ ज़िन्दगी के खामोश तार-राग रंग १९५२

मखमली आवाज़ में एक नायाब रत्न पेश है फिल्म संगीत के खजाने से।
कैफ इरफानी के कुछ दिल को छू लेने वाले बोलों को उतनी ही दिलकश
धुन में बांधा है संगीतकार रोशन ने। तलत और लता का ये युगल गीत कुछ
अलग हट के है और इसके प्रशंसक मुझे काफी गंभीर किस्म के व्यक्ति मिले।

गंभीर और संजीदा रचनाएँ सुनने के लिए आपकी रूचि और स्वाद भी संजीदा
होना ज़रूरी है। ना भी हो तो आम श्रोता गीत के अनूठेपन से प्रभावित हो ही
जाता है। गीत फिल्माया गया है अशोक कुमार और गीता बाली पर। फिल्म का
निर्देशन दिग्विजय नाम के व्यक्ति ने किया है जो गीता बाली के भाई हैं।



गीत के बोल:

हर नयी रात, नया दर्द लिए आती है
नींद आँखों से, बहुत दूर हुयी जाती है

मत छेड़ ज़िन्दगी के खामोश तार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा
मत छेड़ ज़िन्दगी के खामोश तार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा

तारे चमक के अपनी मंजिल को जा रहे हैं
मंजिल को जा रहे हैं
मंजिल की याद में हम आंसू बहा रहे हैं
आंसू बहा रहे हैं
हर रात कह रही है, ए अश्कबार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा

मत छेड़ ज़िन्दगी के खामोश तार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ,
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नज़रें चुराने वाले नज़रें ज़रा उठाना, नज़रें ज़रा उठाना
सीखा कहाँ से तूने उल्फत में दिल जलाना,
उल्फत में दिल जलाना
ओ दिल जलने वाले, कहता है प्यार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा

मत छेड़ ज़िन्दगी के खामोश तार सो जा
दिल-ए-बेकरार सो जा

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