मैं पल दो पल का शायर हूँ-कभी कभी १९७५
बहुत दिनों बाद आज एक गीत पेश है जो बेहद लोकप्रिय हुआ और
जिसे महाकाव्य सा दर्ज़ा मिल गया फिल्म संगीत जगत में । ये है
मुकेश का गाया फिल्म कभी कभी का गीत-मैं पल दो पल का शायर हूँ ।
कभी कभी फिल्म में सही गीत साहिर की कलम से निकले थे। संगीतकार
खय्याम की ये दूसरी संगीतमय पारी थी जो पहली पारी से ज्यादा
कामयाब प्रतीत होती है। अमिताभ बच्चन के लिए मुकेश ने कुछ ही
गीत गाये हैं उनमे से एक है यह। गीत के आरम्भ में कुछ पंक्तियाँ
हैं जो अमिताभ की प्रभावशाली आवाज़ में प्रस्तुत की गई हैं।
गीत के बोल:
कल नयी कोंपलें फूटेंगी
कल नए फूल मुस्कायेंगे
और नयी घास के नए फर्श पर नए पाँव दिखलायेंगे
वो मेरे बीच नहीं आयें
वो मेरे बीच नहीं आयें
मैं उनके बीच में क्यूँ आऊँ
उनकी सुबहों और शामों का
उनकी सुबहों और शामों का
मैं एक भी लम्हा क्यूँ पाऊँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
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मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ
मुझ से पहले कितने शायर, आये और आकर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए, कुछ नगमे गा कर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे, मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुम से जुड़ा हो जाऊंगा, वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ
कल और आयेंगे, नगमों की खिलती कलियाँ चुननेवाले
मुज़ से बेहतर कहनेवाले, तुम से बेहतर सुननेवाले
कल कोइ मुझ को याद करे, क्यूँ कोइ मुझ को याद करे
मसरूफ़ जमाना मेरे लिए, क्यूँ वक्त अपना बरबाद करे
मैं पल दो पल का शायर हूँ
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Main pal do pal ka shayar-Kabhi kabhie 1975
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