रंग रंगीला सांवरा -बारूद १९६०
की। आइये सुना जाए एक गीत फिल्म बारूद से जो कि सन
१९६० की फिल्म है। अगर आप इस गीत में संजीव कुमार जैसे
दिख रहे कलाकार को पहचान जाएँ तो अपने आप को पक्का
फिल्म प्रेमी समझिये। परदे पर गीत गा रही हैं अभिनेत्री कुमकुम
जिनकी स्क्रीन प्रेजेंस ज़बरदस्त हुआ करती थी और शायद
ये बात उनकी समकालीन नायिकाओं के लिए इर्ष्या का विषय
हो । उनपर फिल्माए गए गीत फिल्म की मुख्य नायिका वाले
गीत से तकरीबन हमेशा ही बेहतर नज़र आते। नारी सुलभ
अदाओं से भरपूर ये गीत रोचक है ।
सिनेमा हाल का पर्दा जंगी आकार का हुआ करता है और उस पर
नायक नायिका का आकार भी भीमकाय दिखा करता है। जब काया
बड़ी दिखेगी तो हंसी और आंसू भी बड़े दिखाई देंगे। शायद यही वजह
हो सिनेमा हॉल में हंसी का बगीचा पैदा होने और आंसुओं के तालाब
भरने के।
जिनको गीतों की श्रेणियां बनाने का शौक है उनके लिए सुझाव-
इस गीत को आप 'मटका' गीत की श्रेणी में रख सकते हैं। गीत
में १००-५० तो दिखाई दे ही रहे हैं ना।
गीत गाया है लता मंगेशकर और साथी कलाकारों ने। परदे पर
महिला मंडल के बीच आपको अभिनेत्री टुनटुन भी नज़र आ जाएँगी।
गीत लिखा है हसरत जयपुरी ने और तर्ज़ बनाई है ख़य्याम ने।
गीत के बोल:
रंग रंगीला सांवरा
रंग रंगीला सांवरा
मोहे मिल गयो जमुना पार
हुए बांके नैना चार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, हो
रंग रंगीला सांवरा
मोहे मिल गयो जमुना पार
हुए बांके नैना चार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, होए
नीर भरन को जब जब जाऊं
ताके चन्द्र चकोर
अररारारा ताके चन्द्र चकोर
आते जाते रोक ले रास्ता
ना माने चितचोर
अररारारा ना माने चितचोर
धागा हो तो तोर भी डालूँ
धागा हो तो तोर भी डालूँ
बीच पे किसका जोर
ननदिया छेड़े बीच बाज़ार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, हो
रंग रंगीला सांवरा
मोहे मिल गयो जमुना पार
हुए बांके नैना चार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, होए
नटखट मोहन बाज़ ना आया
दीनी गागर फोड़
अररारारा दीनी गागर फोड़
फूल से नाज़ुक नरम कलाई
जालिम ने दी मोड़
अररारारा जालिम ने दी मोड़
फँस गई मोरी जान गज़ब में
फँस गई मोरी जान गज़ब में
मैं भागी चुनरी छोड़
ननदिया छेड़े बीच बाज़ार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, हो
रंग रंगीला संवारा
मोहे मिल गयो जमुना पार
हुए बांके नैना चार
इब मैं का बोलूं सरकार
इब मैं का बोलूं, होए
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Rang rangeela sanwra-Barood 1960
Artist: Kumkum
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