थोडा सा एतबार कीजिये-चौकीदार १९७३
ध्यान से सुना था। इसके ध्वनि संयोजन ने मुझे आकृष्ट किया
था। उसके बाद १-२ बार और सुनाई दिया ये, फिर ऐसा लगा
जैसे इसको रेडियो वाले सुनना भूल गए हैं। ऐसा ही होता है
जब फिल्म फ्लॉप हो जाया करती है। लता मंगेशकर की आवाज़
के प्रयोग से कई मधुर गीत देने वाले संगीतकार मदन मोहन ने
आशा के लिए एक अच्छी धुन बनाई ज़रूर मगर वो समय के
प्रवाह के साथ गुम हो गई। इस गीत की छाप आपको संगीतकार
सोनिक ओमी के संगीत में आशा के गाये गीतों में मिलेगी।
विडियो देख कर आपको ज़रूर लगेगा कि ये गीत शायद किसी मुजरे
के लिए बनाया गया था और फिल्म दिया गया सहनायिका के एकल
नृत्य पर। नाचने वाली नायिका जयश्री टी हालाँकि एक आला दर्जे की
नर्तकी हैं मगर इस गीत के बोलों के साथ उनके नृत्य का मेल कुछ
तेल और पानी के असंभव से collodial suspension जैसा लगता है।
दूसरे "दिल भी पहलु से जुदा हो जाये" पंक्तियों के दौरान कौनसा दिल
व कौनसे पहलू से जुदा होने की बात की जा रही है समझ नहीं आई।
एक बात तो तय है जी, होटल के लाल कारपेट की अच्छी तरह से
सफाई हो गई होगी।
गीत के बोल:
थोडा सा ऐतबार कीजिये
हाँ आ आ आ आ थोड़ा सा ऐतबार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
थोडा सा ऐतबार कीजिये
हाँ आ आ आ आ थोड़ा सा ऐतबार कीजिये
प्यार की आरजू है
प्यार की जुस्तजू है
प्यार की आरजू है
प्यार की जुस्तजू है
तो पहले अपने दिल को बेकरार कीजिये
अपने दिल को बेकरार कीजिये
हाँ आ आ आ आ थोड़ा सा ऐतबार कीजिये
जाने कब इश्क में क्या हो जाये
बन्दा बन्दे का खुदा हो जाये
आप भी यार के
आप भी यार के दर पे रह जाएँ
दिल भी पहलू से जुदा हो जाये
दिल भी पहलू से जुदा हो जाये
जो सच हो तो
जो सच हो तो फिर प्यार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
थोडा सा ऐतबार कीजिये
हाँ आ आ आ आ थोड़ा सा ऐतबार कीजिये
दिल पे काबू ना हो तो
गैर के घर जाओ सनम
हो ओ ओ सनम जाओ जाओ सनम
दिल पे काबू ना हो तो
गैर के घर जाओ सनम
एक ही रात के वादे पे ना बहलाओ सनम
आँखें छू लो, आ आ आ आ
आँखें छू लो मगर हाथ से ना छूना बदन
खुद तडपाओ हमको भी तडपाओ सनम
हमको भी बेकरार कीजिये
हमको भी हमको भी
हमको भी बेकरार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
फिर ज़रा सा इंतजार कीजिये
थोडा सा ऐतबार कीजिये
हाँ आ आ आ आ थोड़ा सा ऐतबार कीजिये
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