आया शबाब आया-हम हैं लाजवाब १९८४
फिल्म का नाम लाजवाब रख देने से ही लाजवाब फिल्म नहीं बन
जाती। लाजवाब बनाने के लिए लाजवाब नुस्खे लाजवाब तरीके से
पेश करना पढ़ते हैं। कई बार तो यूँ हो जाता है कि नुस्खा आजमाते
आजमाते पुराना पड़ जाता है। जुकाम की दवाई तैयार करते करते
सर्दी निकाल जाती है। या फिर नुस्खा नुक्स में तब्दील हो जाता है।
आइये फिल्म हम हैं लाजवाब फिल्म का दूसरा गीत सुनें। एक गीत
आपको पहले सुनवाया जा चुका है-कोई परदेसी आया परदेस में।
ये गीत लता के स्वर में है, जिसकी रचना की है आनंद बक्षी ने
और संगीत तैयार किया आर डी बर्मन ने। रोचक गीत है, देखिये
'फुल गांवडी नौटंकी' शहरी लेबल वाली।
गीत के बोल:
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
आइना मैंने देखा
आइना मैंने देखा इतना हिजाब आया
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
पायल का कोई घुँघरू
छन से छनक गया तो
पायल का कोई घुँघरू
छन से छनक गया तो
क्या हो गया ज़रा सा
आँचल सरक गया तो
इतनी सी बात पर क्यों
इतनी सी बात पर क्यों
इतना हिजाब आया
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
आइना मैंने देखा
आइना मैंने देखा इतना हिजाब आया
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
आया शबाब आया खाना ख़राब आया
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