मिले मिले दो बदन-ब्लैकमेल १९७३
गणित के हिसाब से देखा जाये तो जिस गाने को दो लोग
गायें वो-दोगाना, जिसे तीन लोग गायें वो तीनगाना और
जिसे चार गायक गायें वो चारगाना। पिछले गीत से एक
और गीत ध्यान में आया है, लगे हाथ वो भी सुन/देख
लीजिये।
आपको केवल दोगाना ही सुनवा रहे हैं। ये भी ऐसे याद आया
कि जिस गीत में गायक-गायिका गीत की पंक्तियाँ एक साथ
गाते हैं वो पूर्ण दोगाना लगता है। ऐसा एक और गीत है जिसमें
गायक-गायिका ने बहुत सी पंक्तियाँ साथ साथ गई हैं। धक् चिक
धक् चिक वाली ताल के साथ ये गीत आगे बढ़ता है और कब
ख़त्म हो जाता है मालूम नहीं पढता। ये मधुर गीत है फिल्म
ब्लैकमेल से। इसके संगीत के अटपटे होने की वजह आप केवल
इसका विडियो देख कर ही जान पाएंगे। एक बात बताएं-इसको
देखकर हिंदी की कोई कहावत याद आती है आपको ?
गीत के बोल:
मिले मिले दो बदन खिले खिले दो चमन
ये ज़िन्दगी कम ही सही कोई ग़म नहीं
मिले मिले दो बदन खिले खिले दो चमन
ये ज़िन्दगी कम ही सही कोई ग़म नहीं
देर से आई आई तो बहार
अंगारों पे सोकर जागा प्यार
तूफ़ानों में फूल खिलाए
तूफ़ानों में फूल खिलाए कैसा ये मिलन
मिले मिले दो बदन खिले खिले दो चमन
ये ज़िन्दगी कम ही सही कोई ग़म नहीं
होंठ वही हैं है वही मुस्कान
अब तक क्यों कर दबे रहे अरमान
बीते दिनों को भूल ही जाएँ
बीते दिनों को भूल ही जाएँ अब हम-तुम सजन
मिले मिले दो बदन खिले खिले दो चमन
ये ज़िन्दगी कम ही सही कोई ग़म नहीं
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Mile mile do badan-Blackmail 1973
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