वक्त करता जो वफ़ा-दिल ने पुकारा १९६७
कुछ गीत शाश्वत गीतों की श्रेणी में आते हैं। समय के बंधन से
मुक्त ये गीत कभी भी सुने जाएँ हमेशा ताज़े ही लगते हैं। हिंदी
फिल्म संगीत जगत में हर संगीतकार ने कुछ विलक्षण गीत बनाये
हैं। गायक मुकेश की प्रतिभा का उपयुक्त दोहन कल्याणजी आनंदजी
ने सबसे ज्यादा किया है। शंकर जयकिशन ने मुकेश से गीत गवाए
इसकी एक बड़ी वजह राज कपूर थे जिनके ऊपर फिल्माये गए गीत
१०-१५ गीतों को छोड़ कर सभी मुकेश के गाये हुए हैं।
फ़िल्म 'दिल ने पुकारा' का ये गीत संगीतकार ने ज़रूर फुरसत में
बनाया था। इसे सुनकर दिल दुखी जरूर होता है हर बार। ऐसे गीतों
में हर चीज़ नपी तुली सी मालूम पड़ती है जैसे कोई ईश्वरीय निर्देश
पर काम किया गया हो। इस गीत में जो कलाकार हैं उनके नाम इस
प्रकार से हैं-शशि कपूर, राजश्री और संजय खान ।
गीत के बोल:
वक्त करता जो वफ़ा
वक्त करता जो वफ़ा
आप हमारे होते
हम भी औरों की तरह
हम भी औरों की तरह
आपको प्यारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
अपनी तकदीर में पहले ही से कुछ तो गम हैं
अपनी तकदीर में पहले ही से कुछ तो गम हैं
और कुछ आपकी फितरत में वफ़ा भी कम है
वरना जीते हुई बाज़ी तो न हारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
आप हमारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके
हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके
सामने जाम था और जाम उठा भी न सके
काश हम गैरत-ऐ-महफ़िल के मारे न होते
वक्त करता जो वफ़ा
आप हमारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
दम घुटा जाता है सीने में फ़िर भी जिंदा हैं
दम घुटा जाता है सीने में फ़िर भी जिंदा हैं
तुमसे क्या हम तो ज़िन्दगी से भी शर्मिंदा हैं
मर ही जाते न जो यादों के सहारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
आप हमारे होते
हम भी औरों की तरह
हम भी औरों की तरह
आपको प्यारे होते
वक्त करता जो वफ़ा
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