May 1, 2014

फिर कहीं कोई फूल खिला-अनुभव १९७२

मन्ना डे की गायकी बेजोड बेमिसाल है. जो कुछ बाकी
गायकों की गायकी के बाद सुनने की इच्छा होती है वो
हैं मन्ना डे के गाने. आवाज़ की परिपक्वता अपनी जगह
है और गायकी की गुणवत्ता अपनी जगह. गुणवत्ता के
मामले में उनके निकट कुछ ही गायक आ पाते थे.

आज सुनते हैं उनकी मख्खन सी मुलायम गायकी का
अंदाज़ फिल्म अनुभव से. कपिल कुमार के बोल और
कनु घोष का संगीत है. फिल्म के परदे के कलाकारों को
आप आसानी से पहचान जायेंगे.




गीत के बोल:

फिर कहीं कोई फूल खिला, चाहत ना कहो उसको
फिर कहीं कोई दीप जला, मंजिल ना कहो उसको
फिर कहीं कोई फूल खिला

मन का समुन्दर प्यासा हुआ क्यूँ किसी से मांगें दुआ
मन का समुन्दर प्यासा हुआ क्यूँ किसी से मांगें दुआ
लहरों का लगा जो मेला तूफ़ान न कहो उसको

फिर कहीं कोई फूल खिला

देखे सब वो सपने खुद ही सजाये जो हमने
दिल उनसे बहाल जाए तो राहत न कहो उसको

फिर कहीं कोई फूल खिला
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Phir kahin koi phool-Anubhav 1972

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