कजरा लगा के गजरा सजा के-अपना देश १९७२
हैं। सौंदर्य सामग्री का एक हिस्सा कजरा गीतकारों को बहुत
पसंद रहा है। आज आपके लिए एक और गीतकार का कजरा
प्रस्तुत है। अक्सर कजरे की गजरे के साथ तुकबंदी बैठाई
जाती है.
कजरे का अर्थ है काजल. इस गीत का मुखडा भी वैसा ही
है जैसा जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली के गीत का है.
ये गीत मगर, एक युगल गीत है लता और किशोर की
आवाजों में.
इस गीत में हालांकि वैसा कमरतोड जिमनास्टिक किस्म का
नृत्य नहीं है जैसा शांताराम की फिल्म के गाने में है, मगर
राजेश खन्ना की उपस्थिति की वजह से लुभावना बन गया
है. उनके साथ हैं मुमताज़ जो कि फिल्म रिलीज़ के समय
चोटी की अभिनेत्री थीं.
गीत के बोल:
कजरा लगा के गजरा सजा के
कजरा लगा के गजरा सजा के बिजुरी गिरा के जइयो ना
नैन मिला के चैन चुरा के निंदिया उडा के जइयो ना
कजरा लगा के गजरा सजा के बिजुरी गिरा के जइयो ना
नैन मिला के चैन चुरा के निंदिया उडा के जइयो ना
कजरा आ गजरा आ
मुखडा ना देखो दर्पण में झांको ज़रा मेरे मन में
मुखडा ना देखो, ना देखो
मुखडा ना देखो दर्पण में झांको ज़रा मेरे मन में
ऐसे जिया पे छाई हो जैसे घटायें सावन में
रात और दिन तुम्हारे बिन मन में और कौन है
अब जिद छोडो ना आगे आगे दौड़ो दिल ना मेरा तोडो
घुंघटा गिरा के
घुंघटा गिरा के, मुखडा छिपा के, बिजुरी गिरा के, जइयो ना
नैन मिला के चैन चुरा के निंदिया उडा के जइयो ना
कजरा आ गजरा आ
छोडो मेरी कलाई को सुन लो मेरी दुहाई को
छोडो मेरी, ओ जुल्मी
छोडो मेरी कलाई को सुन लो मेरी दुहाई को
क्यूँ छेड़ते हो रस्ते में लड़की किसी पराई को
मेरा नाम हो बदनाम ये जो कोई देख ले
चलो हटो जाओ जिया ना धड्काओ देखो बाज़ आओ
अपना बना के
अपना बना के, सपना दिखा के, निंदिया उड़ा के, जइयो ना
नैन मिला के चैन चुरा के निंदिया उडा के जइयो ना
कजरा लगा के गजरा सजा के बिजुरी गिरा के जइयो ना
नैन मिला के चैन चुरा के निंदिया उडा के जइयो ना
कजरा आ गजरा आ
कजरा हो गजरा हो
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Kajra laga ke-Apna Desh 1972
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