Aug 10, 2015

दिल धड़के आँख मोरी फड़के-दर्द १९४७

सुनते हैं सन १९४७ से एक गीत फिल्म दर्द का. दिल धड़काने
वाला और आँख फड़काने वाला ये गीत लिखा है शकील बदायूनीं
ने और इसका संगीत तैयार किया नौशाद ने. सुरैया की सुरीली
आवाज़ है.

वियोग या बिछडना स्वतः संयोगवश भी हो सकता है और जबरन
भी. जबरन की बिछडन को “छोड़ के जाना “ भी कहा जाता है.
दिल धड़कता है या तो घबराहट के मारे या किसी संकट की
आशंका से. यही हाल आँख फडकने का भी है, अक्सर ऐसे होने
से किसी संभावित अप्रियता की आशंका जताई जाती है.

दर्द सन १९४७ की फिल्म है और इसका निर्देशन कारदार ने किया
है. कारदार एक चर्चित निर्देशक थे फिल्म जगत के. उनकी सभी
फिल्मों का संगीत बेहतर हुआ करता था. फिल्म में सुरैया के
गाये गीत भी हैं मगर उमा देवी का गाया गीत “अफसाना लिख रही
हूँ” सबसे ज्यादा पोपुलर हुआ और इतना हुआ कि सर्वाधिक लोकप्रिय
गीतों में शामिल हो गया. ऐसे उदाहरण आपको आगे भी बतलायेंगे
जब मुख्य धारा के गायकों को पीछे छोड़ कर अनजान गायक का
गीत प्रसिद्ध हुआ. फिल्म में श्याम और मुनव्वर सुल्ताना की प्रमुख
भूमिकाएं हैं.



गीत के बोल:

दिल धड़के आँख मोरी फड़के
चले जाना न देखो जी बिछड़ के

कहीं बीते न दुःख में जवानी
कहीं सुन ले न दुनियाँ कहानी
कहीं बन जाऊँ मैं न दीवानी

कहीं ठहरे न उल्फ़त का धारा
कहीं पा ले न कोई इशारा
कहीं टूटे न दिल क सहारा

कहीं जाना न कर के बहाना
न बने दो दिलों का फ़साना
देखो नाज़ुक बहुत है ज़माना

दिल धड़के आँख मोरी फड़के
चले जाना न देखो जी बिछड़ के

………………………………………………..
Dil Dhadke Aankh Mori-Dard 1947

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP