Aug 7, 2015

आँखों में समां जाओ-यास्मीन १९५५

कहते हैं सरलता सबसे सुन्दर है क्यूंकि सरल है. सरल
होना और सरल बनना आसान काम नहीं है. आज के
समय में अगर आप में दो तीन बल अगर नहीं पड़े हुए
हैं तो आपका गुज़ारा नहीं हो सकता. एक कहावत है कि
जंगल में टेढ़े मेढे पेड़ों को कोई नहीं छेड़ता. सीधे पेड़ों
पर कुल्हाड़ी ज़ल्दी चला करती है.

ये बात लगभग तीनों श्रेणियों के जीवों पर लागू होती है.
ये बात मुझे अक्सर इस गीत को सुनते वक्त याद आ जाती
है. गीत है फिल्म यास्मीन से. लाता मंगेशकर का गाया
ये गीत बेमिसाल गीत है. सरल प्रवाह वाला गीत है और
इसमें आपका ध्यान गीत से भटकाने वाले वाद्य यंत्र भी
नहीं हैं. सी रामचंद्र की धुन है और जान निसार अख्तर
के बोल हैं. किसी कवी सम्मलेन की कविता सा लगता है
ये गीत बस फर्क इतना है कि सधी हुई और मीठी आवाज़
में इसे गाया जा रहा है. सैकड़ों कवि सम्मलेन जो सुने हैं
इतने सालों में, उनमें कुछ ही कवि-कवयित्रियाँ ऐसे मिले
जो पक्के सुर में अपनी कविता गाते मिले.

फिल्म का संगीत सी रामचंद्र के सर्वश्रेष्ट उत्पादन में गिना
जाता है. फिल्म नहीं चली इसका मलाल फिल्म के निर्देशक
और संगीत निर्देशक दोनों को ज़रूर रहा.





गीत के बोल: 


आँखों में समा जाओ, इस दिल में रहा करना
तारों में हँसा करना, फूलों में खिला करना

आँखों में समा जाओ, इस दिल में रहा करना

जब से तुम्हें देख है, जब से तुम्हें पाया है
कुछ होश नहीं मुझको, एक नशा सा छाया है
अब बात जो करनी हो, आँखों से कहा करना

ए काश धड़कता दिल, कुछ देर ठहर जाए
ये रात मोहब्बत की, यूँ ही न गुज़र जाए
ए काश धड़कता दिल, कुछ देर ठहर जाए
ये रात मोहब्बत की, यूँ ही न गुज़र जाए
बाकी अभी तुम पर, ये जान फ़िदा करना

आँखों में समा जाओ, इस दिल में रहा करना

किस्मत न दिखाए अब, घड़ियाँ हमें फ़ुरकत की
हर रात यूँ ही चमके, तक़दीर मोहब्बत की
किस्मत न दिखाए अब, घड़ियाँ हमें फ़ुरकत की
हर रात यूँ ही चमके, तक़दीर मोहब्बत की
ए चाँद सितारों तुम मिल-जुल के दुआ करना

आँखों में समा जाओ, इस दिल में रहा करना
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Aankhon mein sama jao-Yasmin 1955

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