इन हसीन वादियों से-प्यासा सावन १९८१
का ये गीत. ये थोडा बहुत सुनाई देता था फिल्म की रिलीज़
के आसपास.
ये उनका लता मंगेशकर ये साथ गाया युगल गीत है. लता
को उन्हें प्रमोट करने के श्रेय जाता है. शुरू में उन्हें संघर्ष
करना पड़ा लेकिन राह आसान बनती चली गई हौले हौले.
८० के दशक में अधिकाँश प्रमुख गायक सक्रिय थे सिवाए
मुकेश और रफ़ी के. मुकेश १९७५ में तो रफ़ी १९८० में
अलविदा कह गये उसके बाद हिंदी फिल्म संगीत क्षेत्र में काफ़ी
रिक्तता आ गई. नयी आवाजों को फिल्म लाइन वाले एकदम
से स्वीकार नहीं कर पाए और उन्हें ये अंदेशा भी रहता कि
दर्शक इन्हें स्वीकार करेगा या नहीं.
सुनते हैं संतोष आनंद रचित और लक्ष्मी प्यारे द्वारा संगीतबद्ध
ये गीत फिल्म प्यासा सावन से.
गीत के बोल:
इन हसीन वादियों से
इन हसीन वादियों से दो चार नज़ारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
इतना बड़ा गगन है दो चार सितारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
इन हसीन वादियों से दो चार नज़ारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
कहीं कोई झरना ग़ज़ल गा रहा है
कहीं कोई बुलबुल तराना सुनाये
यहाँ हाल ये है के साँसों की लय पर
ख्यालों में खोया बदन गुनगुनाये
कहीं कोई झरना ग़ज़ल गा रहा है
कहीं कोई बुलबुल तराना सुनाये
यहाँ हाल ये है के साँसों की लय पर
ख्यालों में खोया बदन गुनगुनाये
न नज़ीज़ ज़ुल्मतों से दो चार शरारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
इन हसीन वादियों से दो चार नज़ारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
हमारी कहानी शुरू हो गई है
हमारी कहानी शुरू हो गई है
समझ लो जवानी शुरू हो गयी है
कई मोड़ हमने तय कर लिये है
नई जिन्दगानी शुरू हो गई है
इन मदभरे मंजरो से दो चार सहारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
इन हसीन वादियों से दो चार नज़ारे
चुरा लें तो चलें
इतना बड़ा गगन है दो चार सितारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
इन हसीन वादियों से दो चार नज़ारे
चुरा लें तो चलें चुरा लें तो चलें
चुरा लें तो चलें
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In haseen wadiyon mein-Pyasa sawan 1981
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