सागर किनारे दिल ये पुकारे-सागर १९८४
विशेष के १५० से ज्यादा रीटेक हुए थे. ऐसा उस समय के फ़िल्मी
मसाला अखबार और पत्रिकाओं में पढ़ने को मिला था. वो दृश्य था-
चुम्बन दृश्य. ये क्यूँ हुआ ये तो रमेश सिप्पी ही बेहतर बता सकते
हैं जो फिल्म के निर्देशक हैं. गौरतलब है ये फिल्म डिम्पल की दूसरी
पारी की पहली फिल्म थी.
ऋषि कपूर एक स्थापित सितारा बन चुके थे तब तक और ये इस जोड़ी
की फिल्म बॉबी के बाद दूसरी फिल्म है. फिल्म एक यादगार फिल्म है
और इसमें कमल हसन के अभिनय ने सबको चकित किया था. कमाल
हसन की ये दूसरी ऐसी फिल्म है हिंदी में जिसका ट्रेजिक अंत होता है.
पहली फिल्म थी-एक दूजे के लिए.
गीत मधुर है और इस गीत की धुन संगीतकार पहले एक फिल्म में ला
चुके हैं-गीत था-हमें रास्तों की ज़रूरत नहीं है जो नरम गरम फिल्म में
है. उस गीत की गायिका आशा भोंसले हैं. ऐसे कई वाकये हुए हैं हिंदी
फिल्म संगीत क्षेत्र में, जब किसी संगीतकार की अच्छी धुन अनसुनी
रह जाती है या जब संगीतकार को किसी धुन से विशेष लगाव हो, वो
उस धुन को बार बार प्रयोग में लाना चाहता है और लाता भी है. फिल्म
नरम गरम का संगीत अनुसना ही रह गया और उसकी बड़ी वजह-फिल्म
का न चल पाना. गोलमाल फिल्म का कथानक दर्शकों को नया लगता
है आज भी मगर फिल्म नरम-गरम का कथानक कमज़ोर साबित हुआ
गोलमाल के आगे.
गीत के बोल:
सागर किनारे, दिल ये पुकारे
तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है
सागर किनारे
जागे नज़ारे, जागी हवायें
जब प्यार जागा, जागी फिज़ायें
पल भर तो दिल की दुनियाँ सोयी नहीं है
सागर किनारे, दिल ये पुकारे
तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है
सागर किनारे
लहरों पे नाचे, किरनों की परियाँ
मैं खोयी जैसे, सागर में नदिया
तू ही अकेली तो खोयी नहीं है
सागर किनारे, दिल ये पुकारे
तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है
सागर किनारे
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Sagar kinare dil ye pukare-Sagar 1984
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