दुपट्टा मेरा मलमल का-अदालत १९५८
गाये उन गीतों पर जिनका संगीत मदनमोहन ने तैयार किया है,
चर्चा कम होती है. आपको मदन मोहन और लता मंगेशकर के
कोम्बिनेशन पर चर्चा जगह जगह मिल जायेगी. ये सही भी है
कि बेहतर और गंभीर धुनें मदन मोहन ने लता मंगेशकर के
लिए ही चुनीं. एक पहलू और भी है कि तेज और उतार चदाव
वाले गीत आशा भोंसले ने ज्यादा गाये और उनमें से भी कई
की धुनें बेहतर हैं. यहाँ एक बात को और समझते चलें कि उम्दा
से मतलब शास्त्रीय संगीत पर आधारित या शांत सा गीत. ये
परिभाषा कई गंभीर किस्म के श्रोताओं द्वारा दी गयी है और इस
पैरामीटर के तहत वे आजकल के गीत सिरे से ख़ारिज कर देते
हैं. पसंद अपनी अपनी ख्याल अपना अपना. आजकल की पीढ़ी
को लूप वाला संगीत सुनना पसंद है.
आज सुनते हैं आशा भोंसले के गाया एक कम सुना गया गीत जो
मदन मोहन के संगीत को पसंद करने वाओं के नज़र में अनमोल
रत्न है. ये एक युगल गीत है जिसे गीता दत्त संग आशा भोंसले ने
गाया है. बोल राजेंद्र कृष्ण के हैं और फिल्म का नाम है अदालत.
गीत के बोल:
दुपट्टा मेरा मलमल का
रंग सलेटी हलका
ज़माना लुट जायेगा
सर से अगर ढलका
ओ नेरी सा भई नेरी सा
ओ नेरी सा ओ नेरी सा
बटन मेरे कुर्ते के, हाय चनवे
बटन मेरे कुर्ते के सितारे आसमानी सजना
हो इसीलिये देखा ना, अंधेरा कभी तेरे अंगना
होय इसीलिये देखा ना, अंधेरा कभी तेरे अंगना
ओ नेरी सा भई नेरी सा
नेरी सा भई नेरी सा
ओ नेरी सा ओ नेरी सा
ओ तुमसा भी कोई ना, हाय चनवे
ओ तुमसा भी कोई ना ज़माने में निडर होगा
वहीं पे दम तोड़ेंगे, जहाँ पे तेरा दर होगा
हाय,वहीं पे दम तोड़ेंगे, जहाँ पे तेरा दर होगा
दुपट्टा मेरा मलमल का
रंग सलेटी हलका
हाय, ज़माना लुट जायेगा
सर से अगर ढलका
ओ नेरी सा भई नेरी सा
नेरी सा भई नेरी सा
ओ नेरी सा ओ नेरी सा
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Dupatta mera malmal ka-Adalat 1958

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