Nov 5, 2015

जिंदगी लेकर हथेली पे-हीरा मोती १९७९

कुछ हिंदी फिल्में, कब आई, कब गई, पता नहीं चलता।
ऐसी फिल्मों पर शोध की आवश्यकता होती है कभी
कभी-क्यूँ हुआ कैसा हुआ. प्रस्तुत गीत जिस फिल्म से
है उसका एक गीत तो अवश्य खूब बजा था सन १९८५
तक-नरम मलाई तेरी जान है. इस वजह से फिल्म का
नाम तो श्रोता याद रख पाए.

हीरा मोती फिल्म  भी एक ऐसा ही नाम है। सन १९७९
की फिल्म है ये और इसमें शत्रुघ्न सिन्हा और रीना रॉय
की जोड़ी है. ओ पी नैयर का संगीत है फिल्म में, मगर,
आशा की आवाज़ वाला जादू नदारद है. फिल्म को न तो
सितारों की केमिस्ट्री-फिजिक्स चला सकी ना ही गीतों में
की गई वई वई.

आज आपको सुनवाते हैं एक ऐसा गीत जिसे तीन गायक
कलाकारों ने साथ गाया है-मन्ना डे, मोहम्मद रफ़ी और
दिलराज कौर.



गीत के बोल:


अजी तुम मेरे नजदीक हो अब धडकनों की खैर हो
ज़ुल्फ़ में उलझा है दिल उलझनों की खैर हो
दुश्मनों के साथ कितने प्यार से बैठे हो तुम
ये दुआ है आज मेरे दुश्मनों की खैर हो
अजी देखते हैं खूबसूरत प्यार की तस्वीर को
आज देते हैं दुआ हम अपनी ही तकदीर को


तीर खाने का मज़ा है आप ही के हाथ से
हंस के रोकेंगे जिगर पर आपके हर तीर को
हंस के रोकेंगे जिगर पर आपके हर तीर को

जिंदगी हथेली पे लेकर दीवाने आ गये
जिंदगी हथेली पे लेकर दीवाने आ गये
अजी  तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये
तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये
यूँ तो मजनू को मरे काफी ज़माना हो गया
काफी ज़माना हो गया काफी ज़माना हो गया
जान देना प्यार में किस्सा पुराना हो गया
किस्सा पुराना हो गया किस्सा पुराना हो गया
मुस्कुराना दिल के मिटने का बहाना हो गया
जाल जुल्फों का बिछा तो कैदखाना हो गया
जाल जुल्फों का बिछा तो कैदखाना हो गया
लौट कर, लौट कर फिर कैद में कैदी पुराने आ गये
लौट कर फिर कैद में कैदी पुराने आ गये
खैर हो  महफ़िल के महफ़िल में  दीवाने आ गये
खैर हो  महफ़िल के महफ़िल में दीवाने आ गये

आपने देखा हमें और दिल निशाना हो गया
अजी दिल निशाना हो गया अजी दिल निशाना हो गया
आज दीवानॉन के मरने का बहाना हो गया
अजी हाँ बहाना हो गया अजी  हाँ बहाना हो गया  
अजी आप कहती हैं ये किस्सा पुराना हो गया
आज फिर जिंदा मजनू का फ़साना हो गया
आज फिर जिंदा मजनू का फ़साना हो गया
देखिये हम आपको लैला बनाने आ गये
देखिये हम आपको लैला बनाने आ गये
तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये
तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये

ये मेरे पायल नहीं हैं जिंदगी का साज़ है
जिंदगी का साज़ है अजी  जिंदगी का साज़ है
जो मेरे दिल में छुपी है ये वही आवाज़ है
ये वही आवाज़ है अजी ये वही आवाज़ है
कौन जाने मेरे दिल पे आज कैसा राज़ है
आग को शोला बनाना हुस्न का अंदाज़ है
आग को शोला बनाना हुस्न का अंदाज़ है
आप क्यूँ इस आग में दामन जलाने आ गये
आप क्यूँ इस आग में दामन जलाने आ गये
खैर हो महफ़िल के महफ़िल में दीवाने आ गये
खैर हो महफ़िल के महफ़िल में दीवाने आ गये

तेरी पायल की खनक में मौत की आवाज़ है
अजी मौत की आवाज़ है अजी मौत की आवाज़ है
दो घडी का गीत है ये दो घडी का साज़ है
अजी दो घडी का साज़ है अजी दो घडी का साज़ है
अपना दामन तो जलाना सिहक का अंदाज़ है
ये वही समझेंगे जिहें अपने दिल पे नाज़ है
ये वही समझेंगे जिहें अपने दिल पे नाज़ है
नाज़ वाले आज अपना दिल जलने आ गये
नाज़ वाले आज अपना दिल जलने आ गये
तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये
अजी तीर खाने के लिए बन कर निशाना आ गये
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Zindagi le kar hatheli pe-Heera Moti 1979 

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