धरती अपनी माँ-कामयाब १९८४
कर के जैक की ज़रूरत पड़ी तो शब्द याद आया-जम्पिंग जैक.
आपको आज फिल्म कामयाब से दूसरा गीत सुनवा रहे हैं. पहला
गीत काफी रोचक विवरण के साथ आप सुन चुके हैं.
गीत जीतेंद्र और शबाना आज़मी पर फिल्माया गया है. जीतेंद्र को
उत्तर और दक्षिण दोनों दिशाओं की काफी सारी अभिनेत्रियों के साथ
काम करने का मौका मिला. वे शायद कुछ खुशकिस्मत सितारों
में से एक हैं.
ये वही जीतेंद्र हैं जिन्होंने एक बार वी शांताराम की फिल्म में
मुमताज़ के साथ काम करने से मना किया था जिस पर
शांताराम ने कहा था-नायिका तो यही रहेगी फिल्म की, तुम्हें
काम करना हो तो करो. शायद वे जीवन के उत्तरार्ध में इस बात
को अच्छी तरह समझ गए कि सीमित प्रतिभा के चलते वे तभी
सफल हो सकते हैं जब नखरे अपने नियंत्रण में रखें. नखरे तो
ठीक, उन्होंने अपना शरीर भी नियंत्रण में रख कर अपने समय
के नायकों के लिए मिसाल कायम की. उनकी फिटनेस के लोग
कायल हुआ करते थे.
प्रस्तुत गीत धरती माँ को समर्पित है जिसे इन्दीवर ने लिखा है
और एस पी बालू संग लता मंगेशकर ने गाया है.
गीत के बोल:
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
धरती माता दया करो मोती खेतों में भर दो
सोने की हमें फसलें दो और खुशियों के हमें आंसू दो
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
धरती माँ धरती माँ धरती माँ
मेघों के रजा पानी दो धरती को चुनर धानी दो
रेट जहाँ वहाँ खेत बने मित्तो को नयी जवानी दो
बोया खून पसीना है हर एक बूँद नगीना है
म्हणत ही दौलत अपनी म्हणत के बल जीना है
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
खेतों में हरियाली है घर घर में खुशहाली है
खलिहानों में धूम मची गोरी के गालों पे लाली है
धान के देखो ढेर लगे बनते बात न देर लगे
भाग्य लक्ष्मी आये तुम तुमसे घर के भाग जगे
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
धरती माता दया करो मोती खेतों में भर दो
सोने की हमें फसलें दो और खुशियों के हमें आंसू दो
धरती अपनी माँ धरती अपनी माँ
धरती माँ धरती माँ धरती माँ
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Dharti apni maa-Kaamyab 1984
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