मुझे प्यार में तुम ना-फिर वही दिल लाया हूँ १९६३
ये बार बार बताना ज़रूरी है. इसके गीत इतने बजे कि सुनने
वालों के कान पक गए. इसका अलग अर्थ न लगा बैठें आप.
जनता को गीत याद हो गए. अधिकतर गीत खुशनुमा हैं
इस फिल्म के.
फिल्म से आपको पूर्व में चार गीत सुन चुके हैं. आपने सुने
या नहीं अलग बात है, हमने सुनवाने की कोशिश ज़रूर की
है.
आइये सुनें आशा भोंसले का गाया एक गीत जो थोडा अलग
सा है. गीतकार एक बार फिर वही हैं-मजरूह सुल्तानपुरी.
गीत गंभीर है और इसमें नायिका दु:खी और चिंतित सी
दिखाई देती है. गीत के ज़रिये वो अपना पक्ष प्रस्तुत कर
रही है. सरल और प्रभावी शब्दों से मजरूह साहब ने इसकी
ख़ूबसूरती बढ़ा दी है.
कातर भाव से जो सज्जन नाखून चबा रहे हैं गीत में उनका
नाम प्राण है. नायक तो नायिका से रूठ के चला जा रहा है
और तालाब के चक्कर ऐसे लगा रहा है मानो कोई मछली
उड़ कर बाहर आ गयी हो और वो उसे ढूँढने की कोशिश कर
रहा हो.
मुझे प्यार में तुम न इलज़ाम देते
अगर जानते गम मेरी बेबसी का
मेरी बेरुखी तुमने देखी है लेकिन
नहीं तुमने देखा तडपना किसी का
मेरे दिल ने चाहा था कुछ तुमसे कहना
मगर प्यार कहता है खामोश रहना
मेरे दिल ने चाहा था कुछ तुमसे कहना
मगर प्यार कहता है खामोश रहना
दिखाएँ किसे हम ये अश्कों का बहना
सुनाएँ किसे दर्द दिल की नदी का
मेरी बेरुखी तुमने देखी है लेकिन
नहीं तुमने देखा तडपना किसी का
मेरी बेरुखी तुमने देखी है लेकिन
नहीं तुमने देखा तडपना किसी का
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Mujhe pyar mein tum-Phir wahi dil laya hoon 1963
Artists: Asha Parekh, Pran, Joy Mukherji
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