काहे सताये- क़यामत से क़यामत तक १९८८
आज. इसे अलका याग्निक ने गाया है. परदे पर इसे
जूही चावला पर फिल्माया गया है. फिल्म है सन १९८८
की क़यामत से क़यामत तक. सन १९८३ की लव स्टोरी
के बाद कुछ ऐसा कथानक दर्शकों को देखने को नहीं
मिला था. इस फिल्म को जनता ने हाथों-हाथ लिया
और तबियत से देखा, सराहा.
मजरूह के बोलों को संगीत में ढाला है आनंद मिलिंद
ने. ऐसे छोटे गीत अमूमन कम फिल्मों में देखने को
मिलते हैं. इनका ज्यादा जिक्र भी नहीं होता, ना ही
ये रेडियो वगैरह पर बजते मिलेंगे आपको. हाँ, आंकड़ों
के उद्देश्य से इनकी गिनती कर ली जाती है. अलका
याग्निक द्वारा गाया हुआ ये संभवतः सबसे छोटा गीत
है.
नायिका नायक को कोस रही है और उसका असर भी
दिख रहा है गीत में. ये रूठना थोड़ी देर का ही है
उसके बाद नायिका शिकायत खत्म कर के हल्का सा
मुस्कुरा के सही जगह पहुँच जाती है.
गीत के बोल:
काहे सताए काहे को रुलाये
राम करे तुझको नींद न आये
राम करे तुझको नींद न आये
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Kaahe sataye-Qayamat se qayamat tak 1988
Artists on screen-Aamir Khan, Juhi Chawla
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