कोई दूर से आवाज़ दे-साहब बीबी और गुलाम १९६२
कोई डुप्लिकेट आवाज़ नहीं सुनने को मिली. डुप्लिकेट से मतलब
क्लोन से है. थोड़ी बहुत मीना कपूर की आवाज़ उनकी आवाज़ के
नज़दीक सुनाई देती थी, बस. इसके अलावा कोई भी महिला गायिका
उनकी गायकी के अंदाज़ के निकट नहीं पहुँच पाई.
प्रस्तुत गीत एक माइलस्टोन सॉंग है. फिल्म साहब बीवी और गुलाम
का ये गीत बेहतरीन दर्दीले गीतों में शामिल है. असहाय और कातर
से स्वर में नायिका पुकार रही है जिसका कि पुकारे जाने वाले पर
कोई असर नहीं हो रहा फिल्म में.
फिल्म से ये पांचवा गीत है ब्लॉग पर. इसके पहले आपको गीता के
गाये दो गीत और आशा के गाये दो गीत सुनवाए जा चुके हैं.
गीत के बोल:
जिया बुझा-बुझा नैना थके-थके
पिया धीरे-धीरे चले आओ
कोई दूर से आवाज़ दे, चले आओ
रात-रात भर इंतज़ार है
दिल दर्द से बेकरार है
साजन इतना तो ना तड़पाओ
चले आओ
कोई दूर से आवाज़ दे, चले आओ
आस तोड़ ,के मुख मोड़ के
क्या पाओगे साथ छोड़ के
बिरहन को अब यूँ ना तरसाओ,
चले आओ
कोई दूर से आवाज़ दे, चले आओ
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Koi door se awaaz de chale aao-Sahib Biwi aur Ghulam 1962
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