Jun 25, 2016

जब दिन हसीन-अदालत १९५८

वो भी दिन थे हम पिकनिक मनाया करते थे. अब पिकनिक
हमको मनाती है ‘कभी तो आ’ गा कर. जिंदगी इन दिनों
कुछ ज्यादा ही कोम्प्लीकैटेड हो गयी है, फुर्सत के रात दिन
तलाशने पढते हैं.

अदालत फिल्म का अनसुना गीत सुनते हैं आज. ये युगल
गीत है रफ़ी और आशा का गाया हुआ. राजेंद्र कृष्ण ने इसे
लिखा है और संगीत तैयार किया है मदन मोहन कोहली ने.

इसे फिल्माया गया है तलवार कट मूंछे रखने वाले कलाकार
प्रदीप कुमार और हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन अदाकाराओं
में से एक नर्गिस पर.



गीत के बोल:

जब दिन हसीन
दिल हो  जवान
क्योँ ना मनाये पिकनिक
सीने में आग
होंठों पे राग
मिल-जुल के गायें पिकनिक

साईकल सवार  बाँधे कतार  लो हम चले
जंगल के पार  हिरनों की डार  जैसे चले
हिप हिप हुर्रे!
मौसम पे रंग
दिल में उमंग
फिर क्यों ना जायें पिकनिक
जब दिन हसीन
दिल हो  जवान
क्योँ ना मनाये पिकनिक

पानी का शोर  लहरों का जोर
 आ तोड़ दें
तूफ़ान में नाव  मिल-जुल के
आओ  सब छोड़ दें
हिप हिप हुर्रे!
साहिल से दूर
जा के हुज़ूर
ऐसी जमायें पिकनिक
जब दिन हसीन
दिल हो  जवान
क्योँ ना मनाये पिकनिक

ये दिन अजीब  हम तुम करीब 
हाय फिर कहाँ
मस्ती के खेल  आपस का मेल 
हाय फिर कहाँ
हिप हिप हुर्रे!
ज़ुल्फ़ों के डाल
उड़ते रुमाल
रंगीन बनायें पिकनिक
जब दिन हसीन
दिल हो  जवान
क्योँ ना मनाये पिकनिक
……………………………………….
Jab dil haseen-Adalat 1958

Artists-Pradeep Kumar, Nargis

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