ऐ दिल दुखड़ा किसे-नाज़ १९५४
प्रकार और ग्रामर में उनमें से एक हैं अनिल बिश्वास. उनके इस
अतुलनीय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. उन्होंने
हिंदी फिल्मों के सबसे पहले दौर से संगीत देना शुरू किया था
और समय के साथ वे गीतों और धुनों में बदलाव करते चले
और हर समय प्रासंगिक बने रहे. ये उनकी विलक्षण प्रतिभा की
बदौलत ही संभव हो पाया. उनकी संगीत के सभी पहलुओं पर
पकड़ थी. किस गायक से क्या गवाना है, किस वाद्य यंत्र का
कैसे उपयोग करना है, लोक संगीत से लेकर राग-रागिनियों,
ओर्केस्ट्रा, संगीत संयोजन आदि सभी विधाओं में वे पारंगत थे.
आइये आज सुनें लता के लिए उनकी बनाई गयी एक उम्दा धुन
फिल्म नाज़ से. केदार शर्मा के खूबसूरत बोलों को उन्होंने बहुत
करीने से पिरोया है धुन के स्वरों में.
गीत के बोल:
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
दुखड़ा किसे सुनाएँ
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
जिस डाली पर बैठे टूटी
साजन रूठा दुनिया रूठी
जिस डाली पर बैठे टूटी
साजन रूठा दुनिया रूठी
अब हम रोये या मुस्काएं
दुखड़ा किसे सुनाएँ
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
ठंडी आहें आग लगा दें
ठंडी आहें आग लगा दें
आंसू आग पे तेल गिरा दें
ठंडी आहें आग लगा दें
हम जल जाएँ हम मर जाएँ
दुखड़ा किसे सुनाएँ
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
क्या एक बार तरस खाओगे
क्या एक बार चले आओगे
आओ दिल के ज़ख्म दिखाएँ
दुखड़ा किसे सुनाएँ
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
दुखड़ा किसे सुनाएँ
ऐ दिल दुखड़ा किसे सुनाएँ
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Ae dil dukhda kise sunayen-Naaz 1954
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