बस्ती के लोगों में हुए बदनाम-खानदान १९७९
पेश है. कमाल की बात है कि जीतेंद्र पर फिल्माए गए किशोर
के गीतों पर ज्यादा चर्चा नहीं हुआ करती है. ज्यादा लिखूंगा
तो किसी अंग्रेजी ब्लॉग पर इस आइडिये पर तुरंत एक पोस्ट
छाप जायेगी और हम भुट्टे भूजंते रह जायेंगे.
प्रस्तुत गीत इस फिल्म में उपलब्ध किशोर के दोनों गीतों में
से कम सुना गया गीत है मगर मधुर है और बोल भी इसके
बढ़िया हैं. नक्श लायलपुरी ने इसे लिखा है और संगीत तैयार
किया है खय्याम ने.
गीत के बोल:
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
दिल कर दिया एक सितमगर के नाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम
कैसे कहूँ किसलिए बदगुमान है
मुझसे खफा है मगर मेरी जान है
कैसे कहूँ किसलिए बदगुमान है
मुझसे खफा है मगर मेरी जान है
जालिम ने कर दी है नींदें हराम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम
सपनों की दुल्हन मेरे दिल की रानी
चंचल सी नटखट सी अल्हड जवानी
सपनों की दुल्हन मेरे दिल की रानी
चंचल सी नटखट सी अल्हड जवानी
मुझसे उलझती रहे सुबह शाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम
जुल्फों में खुशबू है आँखों में मस्ती
गोरे बदन से है मदिरा छलकती
जुल्फों में खुशबू है आँखों में मस्ती
गोरे बदन से है मदिरा छलकती
फिर भी है प्यासा मेरे दिल का जाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
दिल कर दिया एक सितमगर के नाम लगे इलज़ाम
चाहत बुरी यारों चाहत बुरी
बस्ती के लोगों में हुए बदनाम
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Basti ke logon mein hue badnaam-Khandan 1979
Artists: Jeetendra, Sulakshana Pandit
1 comments:
I love bhuttas :P
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