प्रेम लगाना चाही रे मनवा-यात्रिक १९५२
यात्रिक से. काफी डूब के गाया हुआ है ये भजन और
आप इसे सुनते ही रिलेक्स हो जायेंगे. पंकज मलिक
ने इसकी धुन बनाई है फिल्म यात्रिक के लिए. धुन
अलौकिक बन पड़ी है.
मीरा बाई से बड़ा कोई समर्पित भक्त नहीं हुआ कृष्ण
का. समर्पण और विश्वास अपने चरम पर है उनकी
भक्ति में. मीरा बाई के कथन की बड़ी सुन्दर व्याख्या
उपलब्ध है पंजाब केसरी के पन्नों पर इधर-
मीरा जी के अनुभव
http://www.punjabkesari.in/mantra-bhajan-arti/news/meera-ji-432530
फिल्म यात्रिक सन १९५२ की एक फिल्म है जिसका
निर्माण न्यू थिएटर्स ने किया और फिल्म के निर्देशक
हैं कार्तिक चटर्जी. फिल्म के प्रमुख कलाकारों में हैं
वसंत चौधरी, अभि भट्टाचार्य, मोलिना, मनोरमा,
माया मुखर्जी इत्यादि.
गीत के बोल:
मीरा कहे
बिना प्रेम से
नहीं मिले हे हे हे नंदलाला
प्रीत करना चाही
प्रेम लगाना चाही
भजन करना चाही
साधन करना चाही
भजन करना चाही
भजन करना चाही
प्रेम लगाना चाही रे मनवा
प्रीत करना चाही
प्रीत करना चाही
साधन करना चाही
भजन करना चाही
रस्सी पूजन से हरी मिलें तो
मैं पूजूं तुलसी ताड़
रस्सी पूजन से हरी मिलें तो
मैं पूजूं तुलसी ताड़
मैं पूजूं तुलसी ताड़
पत्थर पूजन से हरी मिलें तो
मैं पूजूं पहाड़
मैं पूजूं पहाड़
दूध पीने से हरी मिलें
दूध पीने से हरी मिलें तो
बहुत वत्स बाला
बहुत वत्स बाला
मीरा कहे बिना प्रेम से
मीरा कहे बिना प्रेम से
नहीं मिले नंदलाला
नहीं मिले नंदलाला
नहीं मिले नंदलाला
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Prem karma chahi re manwa-yatrik 1952
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