दो रोज़ में वो प्यार-प्यार प्यार की राहें १९५९
सादगी और सरलता से वो बड़े बड़े काम हो जाते हैं जिनके
बारे में हम केवल कल्पना करते रह जाते हैं.
आज मुकेश की पुण्यतिथि है. सरलता के मामले में मुकेश का
कोई सानी नहीं जहाँ तक हिंदी फिल्म संगीत खेत्र का सवाल है.
सही मायने में अगर कोई आम आदमी की आवाज़ कोई बनी तो
वो है गायक मुकेश की आवाज़. आम आदमी मुकेश के गीत
गुनगुनाने में अपने आपको ज्यादा सहज महसूस करता है और
उस गीत से जुड़ाव हो जाता है उसका.
मुकेश से गीत गवा गवा कर ना जाने कितने संगीतकार तर गए.
संगीतकार कनु घोष को भी लोकप्रियता मिली मुकेश के एक गीत
गाने के बाद. आज वही सुनेंगे. गीत प्रेम धवन का लिखा हुआ
है. एक कम जानी पहचानी फिल्म प्यार की राहें में ये गीत है
जिसमें जाने पहचाने कलाकार हैं-प्रदीप कुमार और माला सिन्हा.
गीत के बोल:
दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में
बस इतनी सी है दास्तां बचपन के प्यार की
बस इतनी सी है दास्तां बचपन के प्यार की
दो फूल खिलते खिलते ही गुलशन उजड़ गया
गुलशन उजड़ गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में
ले के सहारा याद का कब तक कोई जिये
ले के सहारा याद का कब तक कोई जिये
ऐ मौत आ के ज़िन्दगी से दिल ही भर गया
दिल ही भर गया
दो रोज़ में वो प्यार का आलम उजड़ गया
बरबाद करने आया था बरबाद कर गया
दो रोज़ में
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Do roz mein wo pyar ka aalam-Pyar ki raahen 1959
Artists: Pradeep Kumar, Mala Sinha
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