हम से भी कर लो कभी-मिलाप १९५५
सही भी है. मीठा-मीठा बोलो और सबको लुभाओ. बोलने की कला
में मीठी जुबान का बड़ा महत्त्व है. कड़वी बोली केवल संतों के ही
मुखारविंद से अच्छी लगती है.
प्रस्तुत गीत में मीठी बातों के लिए निवेदन किया जा रहा है. एक
गीत में हमने कुछ पोस्ट पहले यमक अलंकार के प्रयोग की चर्चा
की थी. इस गीत में भी आपको थोडा इसका प्रयोग मिलेगा. रचना
साहिर लुधियानवी की है और संगीत एन दत्ता का. गीता दत्त ने इस
गीत को गाया है. गीत गीता बाली और देव आनंद पर फिल्माया
गया है. नायक किसी वाइरल बुखार से अभी अभी ठीक हुआ है
ऐसा जान पड़ता है, उसमें नायिका गीत के ज़रिये प्राणवायु का
संचार कर रही है. गीत में आप एक नामचीन हास्य कलाकार के
दर्शन भी कर पायेंगे.
गीत के बोल:
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
मैं बहार का शोख फूल हूँ
अक़ल मर मिटे ऐसी भूल हूँ
मैं बहार का शोख फूल हूँ
अक़ल मर मिटे ऐसी भूल हूँ
घुली घुली हैं घुली घुली हैं रातें
कभी कभी तो मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
चुप हो किस लिये बात तो करो
हँस न पाओ तो आह ही भरो
चुप हो किस लिये बात तो करो
हँस न पाओ तो आह ही भरो
घुली घुली हैं घुली घुली हैं रातें
कभी कभी तो मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
दिल को प्यार से भर के देख लो
ये हसीन भूल कर के देख लो
दिल को प्यार से भर के देख लो
ये हसीन भूल कर के देख लो
घुली घुली हैं घुली घुली हैं रातें
कभी कभी तो मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
हम से भी कर लो कभी कभी तो
मीठी मीठी दो बातें
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Hamse bhi kar lo-Milap 1955
Artists: Geeta Bali, Dev Anand

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