आ पलकों में आ-मदभरे नैन १९५५
की फिल्म मदभरे नैन से एक शांत सा मधुर गीत.
सी रामचंद्र और एस डी बर्मन के संगीत की विशेषता
थी कि गायकी के ऊपर वाद्य यंत्र हावी ना होने पाये.
सी रामचंद्र ने अगर लता के लिए शहद सी मीठी
धुनें बनायीं तो एस डी बर्मन ने भी कई ऐसी भुलाई
ना जा सकने वाली धुनें बनाईं कि सुनने वाले आज
भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
फिल्म का नाम है मदभरे नैन और पूरी मद अर्थात
मधु में लिपटी धुन है इस गीत की. शैलेन्द्र के बोल हैं.
गीत के बोल:
आ पलकों में आ सपने सजा आ
बेहोश रातों की निंदिया चुरा
आ पलकों में आ सपने सजा आ
बेहोश रातों की निंदिया चुरा
आ पलकों में आ
जिस रागिनी को भीगी हुई चांदनी गा रही है
मेरे धडकते दिल से उसी की सदा आ रही है
आ पलकों में आ सपने सजा आ
बेहोश रातों की निंदिया चुरा
आ पलकों में आ
ये प्यास कैसी है आ कर ये जलते सितारों से पूछ ले
बेचैनियाँ मेरी हर पल मचलती बहारों से पूछ ले
आ पलकों में आ सपने सजा आ
बेहोश रातों की निंदिया चुरा
आ पलकों में आ
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Aa palkon mein aa-Madbhare nain 1955
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