मुस्कुराओ के जी नहीं लगता-कंगन १९५९
में. उल्लेखनीय बात ये है तीनों फिल्म में अशोक कुमार मौजूद
हैं. दो में बतौर हीरो तो तीसरी फिल्म में बतौर चरित्र अभिनेता.
अब या तो ये संयोग है या फिर अशोक कुमार को कंगन-कंगना
शब्दों से विशेष प्रेम रहा हो सकता है. फिल्म शौक़ीन का एक गीत
है-जब भी कोई कंगना बोले वो भी अशोक कुमार पर फिल्माया
गया था.
गीत के की वर्ड्स हैं-जी नहीं लगता. कौन कहता है जी नहीं लगता.
नहीं-नहीं करते भी कितनी बार लग गया इस गीत में ?
लता मंगेशकर गायिका हैं, राजेंद्र कृष्ण गीतकार और चित्रगुप्त इस
गीत के संगीतकार.
गीत के बोल:
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
पास आओ के जी नहीं लगता
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
ये खमोशी ये बेज़ुबानी क्यों
छेड़ न दे कोई कहानी क्यों
गुनगुनाओ के जी नहीं लगता
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
पास हो तुम है फिर भी तनहाई
क्या नहीं प्यार की ये रुसवाई
कुछ सुनाओ के जी नहीं लगता
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
रात का हुस्न भी ज़रा देखो
चाँदनी कह रही है क्या देखो
मान जाओ के जी नहीं लगता
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
पास आओ के जी नहीं लगता
मुस्कुराओ के जी नहीं लगता
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Muskurao ke jee nahin lagta-Kangan 1959
Artists: Nirupa Roy, Ashok Kumar
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