कितने दिनों के बाद है आई-आई मिलन की रात १९९१
एक और प्रस्तुत है आज. फिल्म का शीर्षक गीत है यह मगर
शीर्षक के बोल गीत में थोडे उलट पुलट है हिंदी फिल्म का दर्शक
इतना तो आसानी से समझ लेता है. मैंने भी फिल्म पहली बार
देखी थी तब इस गाने को सुनते ही पहचान गया था ये शीर्षक
गीत है फिल्म का. आनंद मिलिंद की संगीत की फैक्ट्री ९० के
दशक में पूरी रफ़्तार से चालू रही और साथ में समीर का गीत
लिखने का कारखाना. दोनों ने मिल कर बहुत धनवान बनाया है
हिंदी फिल्म संगीत को.
इस फिल्म के संगीत से सबसे ज्यादा फायदा हुआ इसका संगीत
कैसेट वगैरह निकलने वाली कंपनी को. लक्ष्मी-प्यारे के बाद शायद
आनंद-मिलिंद ही ऐसे संगीतकार हुए जिनके गीत आम जनता से
ज्यादा करीब हो गए. औरों के गीत भी लोकप्रिय हुए और ९० के
दशक के बाद कुछ दूसरे संगीतकारों ने अपना परचम लहराया मगर
जो निरंतरता इन्होने बनाये रखी वो काम दूसरे संगीत निर्देशक
टुकड़ों टुकड़ों में कर पाए. इस वाक्य के दो अर्थ हैं आप जैसा चाहे
समझ लें. एक शब्द “थोक-भाव” का प्रयोग मैंने नहीं किया है.
इश्क में सब प्यासी चीज़ें सुहानी लगने लगती हैं जैसे कि इस गीत
के पहले अंतरे में सुनाई देता है.
गीत के बोल:
कितने दिनों के बाद है आई सजना रात मिलन की
अब हमसे न सही जाए जुदाई आई रात मिलन की
कितने दिनों के बाद है आई सजना रात मिलन की
चंदा प्यासा तारे प्यासे प्यासी रात सुहानी
कहीं अधूरी रह न जाए अपनी प्रेम कहानी
सजी सेज सुहागन बजी शहनाई आई रात मिलन की
कितने दिनों के बाद है आई सजना रात मिलन की
तन्हाई की रुसवाई के हम कितने गम झेलें
कहने को तो साथ रहें हम फिर भी रहें अकेले
मेरी हो के भी रही मुझसे परायी आई रात मिलन की
कितने दिनों के बाद है आई सजना रात मिलन की
दो रूहों के मिलन का ये वक्त गुज़र न जाए
महकी महकी रात मिलन की जा के फिर न आये
मिल जायेंगे हम राम दुहाई आई रात मिलन की
कितने दिनों के बाद है आई सजना रात मिलन की
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Kitne dinon ke baad hai aayi-Aayi Milan ki raat 1991
Artists: Avinash Wadhvan, Shaheen
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