कागज़ की मेरी नाव-दो दिल १९४७
हैं. कुछ गीत हमें इसका आभास करवाते हैं. आज सुनते हैं
फिल्म दो दिल से एक और गीत मुकेश और सुरैया का गाया
हुआ.
पंडित गोविन्दराम के संगीत निर्देशन में ये गीत बना था जिसे
दीनानाथ मधोक ने लिखा है. रेयर कोम्बिनेशन है मुकेश और
सुरैया का. हम लोग कुछ खास गायकों के युगल गीत सुनने के
आदि हो चुके हैं और अमर ध्यान दुसरे गायकों वाले युगल
गीतों की तरफ नहीं जा पाता है. मुकेश ने उस समय की काफी
सारी गायकों के साथ युगल गीत गाये हैं जिनमें शमशाद और
गीत दत्त प्रमुख हैं. लाता के साथ गाये युगल गीत तो खैर
बहुत से हैं मुकेश के.
गीत के बोल:
कागज़ की मेरी नाव
कागज़ की मेरी नाव और दूर किनारा है
कागज़ की मेरी नाव और दूर किनारा है
इस डोलती नैया का
इस डोलती नैया का अब कौन सहारा है
कागज़ की मेरी नाव और दूर किनारा है
कागज़ की मेरी नाव
आँसू भी छलकते हैं और ग़म की घटायें हैं
आँसू भी छलकते हैं और ग़म की घटायें हैं
आवो मेरी आँखों में
आवो मेरी आँखों में सावन का नज़ारा है
इस डोलती नैया का
इस डोलती नैया का अब कौन सहारा है
कागज़ की मेरी नाव और दूर किनारा है
कागज़ की मेरी नाव
हमने तेरी आँखों में एक दुनिया बसाई थी
हमने तेरी आँखों में एक दुनिया बसाई थी
जब तुम ही फिरे हमसे फिर कौन हमारा है
इस डोलती नैया का अब कौन सहारा है
कागज़ की मेरी नाव और दूर किनारा है
कागज़ की मेरी नाव
…………………………………………………
Kagaz ki meri naav-Do dil 1947
0 comments:
Post a Comment