ओह रे ताल मिले-अनोखी रात १९६८
बारे में, गौर फरमाएं. रोशन के संगीत से सजे इस गीत को
गाया है मुकेश ने. धीर गंभीर आवाज़ वाले मुकेश ही इस गीत
के साथ न्याय कर सकते थे. संगीतकार बेहतर जानता है किस
गीत पर किसकी आवाज़ जंचेगी और रोशन भी एक मास्टर
संगीतकार थे. गीत एक समय के बंधन से मुक्त वाली चीज़ है
उसको कहते हैं टाइमलेस क्लासिक.
इन्दीवर का लिखा अनोखी रात का गीत भुलाये नहीं बनता.
इन्दीवर के पास वो सब कुछ था जो एक विद्वान गीतकार के
पास होना चाहिए. शब्द सामर्थ्य, सोचने वाला दिमाग और
उपमाओं और इडलियों को परोसने की कला. पेट खाली उपमाओं
से नहीं भरता अतः ८० के दशक में उन्होंने मोटी मोटी इडलियों
का प्रयोग किया दक्षिण की मोटी मोटी अभिनेत्रियों और दुबले
पतले जीतू वाली फिल्मों के गीतों के लिए. बप्पी के साथ उनकी
जुगलबंदी खूब चली.
उन्होंने जो कुछ लिखा जैसा लिखा वो सब स्वीकार्य है हमें.
अगर हिंदी सिनेमा सिचुएशनल गीतों की बात करता है तो
८० के दशक की फिल्मों की जैसी मांग रही उसके हिसाब से
इन्दीवर से बेहतर लेखक की कल्पना भी मुश्किल है. वो आज
के गीतकारों से तो बेहतर ही लिख गए
गीत के बोल:
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन से जल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन से जल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
सूरज को धरती तरसे धरती को चंद्रमा
धरती को चंद्रमा
पानी में सीप जैसे प्यासी हर आत्मा
प्यासी हर आत्मा
ओ मितवा रे
पानी में सीप जैसे प्यासी हर आत्मा
बूंद छुपी किस बादल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन से जल में
कोई जाने ना
अनजाने होंठों पर यूं पहचाने गीत हैं
पहचाने गीत हैं
कल तक जो बेगाने थे जन्मों के मीत हैं
जन्मों के मीत हैं
ओ मितवा रे
कल तक जो बेगाने थे जन्मों के मीत हैं
क्या होगा कौन से पल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
नदी मिले सागर में
सागर मिले कौन से जल में
कोई जाने ना
ओह रे ताल मिले नदी के जल में
....................................................................
Oh re taal mile nadi ke jal mein-Anokhi Raat 1968
Artists: Sanjeev Kumar, Mukri, Zahida