मेघा छाए आधी रात-शर्मीली १९७१
ही बात इस गीत को लेकर मुझे समझने में दिक्कत हुई
कि क्या इसे थोड़े नीचे स्केल पर नहीं गवाया जा सकता
था. इसका जवाब किसी संगीत रसिक ने मुझे दिया-नीचे
के स्केल पर इसकी ब्यूटी खत्म हो जाती. इस गाने में
लता मंगेशकर को भी काफी दिक्कत आई होगी सुनकर
ही हम अनुमान लगा सकते हैं. संगीत प्रतियोगिताओं के
प्रतियोगियों को भी इसे गाने में पसीना आ जाता है.
नीरज की लिखी एक उत्तम कोटि की रचना जिसे लंबे
समय तक याद किया जायेगा. नीरज के लिखे गीत कई
हाईप्ड गीतकारों के गीतों से बेहतर हैं. उन्हें बॉलीवुडिया
प्रसिद्धि की ज़रूरत कभी नहीं पड़ी क्यूंकि वे एक स्थापित
साहित्यकार हैं. ये एक संयोग है कि उन्होंने दादा बर्मन,
रोशन और शंकर जयकिशन जैसे गुणी संगीतकारों के साथ
गीत लेखन किया.
प्रस्तुत गीत राग पटदीप पर आधारित है जो कि काफ़ी थाट
का राग है और जो ताल गीत में प्रयुक्त है वो है रूपक ताल.
फिल्म में नायिका का डबल रोल है. एक घरेलू लड़की तो
दूसरी आधुनिका. दोनों के चरित्र के मुताबिक़ इस गीत का
संगीत चलता है पश्चिमी और भारतीय शैली की जुगलबंदी
सरीखा. इन सब प्रयोगों के बावजूद हर चीज़ संतुलित है
इस गीत में.
आपको इस गीत का एक इन्स्ट्रुमेन्टल वर्ज़न भी सुनवाते हैं
जिसे सुन कर आपका आनंद दुगना हो जायेगा.
गीत के बोल:
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
सबके आंगन दिया जले रे मोरे आंगन जिया
हवा लागे शूल जैसी ताना मारे चुनरिया
सबके आंगन दिया जले रे मोरे आंगन जिया
हवा लागे शूल जैस ताना मारे चुनरिया
आई है आँसू की बारात बैरन बन गई निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
रूठ गये रे सपने सारे टूट गयी रे आशा
नैन बहे रे गंगा मोरे फिर भी मन है प्यासा
रूठ गये रे सपने सारे टूट गयी रे आशा
नैन बहे रे गंगा मोरे फिर भी मन है प्यासा
किसे कहूँ मैं मन की बात बैरन बन गई निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
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Megha chhaye aadhi raat-Sharmili 1971
Artist: Rakhi