मेरे मन की गंगा-संगम १९६४
प्रेम त्रिकोण पर आधारित है. फिल्म का संगीत ऐतिहासिक
है और इस फिल्म के बाद शंकर जयकिशन की जोड़ी में
आई दरार बड़ी खाई में परिवर्तित हो गई. कहा जाता है
अहम का टकराव जोड़ी के दोनों सदस्यों के बीच काफी
पहले शुरू हो चुका था.
प्रस्तुत गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है और मुकेश इस गीत
के गायक हैं. इतनी तबियत से फिल्म की नायिका इससे
पहले फिल्म नागिन में नहाई थी. गीत के अंत में वही
कहावत याद आती है-गई भैंस पानी में. इसकी पुष्टि के
लिए कुछ कुछ ऐसी आवाजें भी बैकग्राउंड में सुनाई देती हैं.
निर्देशक का सेन्स ऑफ ह्यूमर ज़बरदस्त है. नायक के हाथ
में बैगपाइपर नाम का वाद्य यंत्र है.
राज कपूर एक बड़े शो मैन कहलाये जाते थे. उनकी फ़िल्में
काफी भव्यता लिए होती थीं. फिल्म संगम भी एक ऐसी ही
फिल्म है. उनकी कहानियां नायक के ऊपर ज्यादा केंद्रित
होतीं अगर वे ही फिल्म के नायक होते. फिल्म के अंत में
वे दर्शक की सहानुभूति बटोर ले जाने में कामयाब भी होते
जो दूसरे प्रमुख नायक हर बार हर फिल्म में नहीं कर पाते थे.
जिस नायक के पास निर्देशक वाली आँख हो उसके पास
एक्स्ट्रा टेलेंट होता है किसी भी पात्र को संवार सकने का.
गीत के बोल:
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
नहीं कभी नहीं
कितनी सदियाँ बीत गईं हैं हाय तुझे समझाने में
मेरे जैसा धीरज वाला है कोई और ज़माने में
दिल का बढ़ता बोझ कभी कम होगा के नहीं
बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
हा हा हा हा हा जा जा
दो नदियों का मेल अगर इतना पावन कहलाता है
क्यों न जहाँ दो दिल मिलते हैं स्वर्ग वहाँ बस जाता है
हर मौसम है प्यार का मौसम होगा की नहीं
बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
नही नही नहीं
तेरी ख़ातिर मैं तड़पा ज्यूँ तरसे धरती सावन को
राधा राधा एक रटन है साँस की आवन जावन को
पत्थर पिघले दिल तेरा नम होगा के नहीं
बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
अरे बोल राधा बोल संगम होगा के नहीं
जाओ न क्यों सताते हो
होगा होगा होगा
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Mere man ki Ganga-Sangam 1964
Artists: Raj Kapoor, Vaijayantimala