Jan 15, 2017

रंगीला रे तेरे रँग में-प्रेम पुजारी १९७०

इस गीत पर हुए नृत्य की तारीफ में जनता जो जो लिख
चुकी है उस हिसाब से तो ये क्लासिकल डांस को भी मात
देने वाला कुछ है.

गीत अच्छा है सुनने में, ज़रूरी नहीं ये आपको देखने में
भी अच्छा लगे. नीरज के बोल हैं और एस डी बर्मन का
संगीत.



गीत के बोल:

रंगीला रे  तेरे रँग में
यूँ रँगा है मेरा मन
छलिया रे  ना बुझे है
किसी जल से ये जलन
ओ रंगीला रे  तेरे रँग में
यूँ रँगा है मेरा मन
छलिया रे  ना बुझे है
किसी जल से ये जलन

पलकों के झूले से सपनों की डोरी
प्यार ने बाँधी जो तूने वो तोड़ी
खेल ये कैसा रे  कैसा रे साथी
दीया तो झूमें है  रोये है बाती
कहीं भी जाये रे  रोये या गाये रे
चैन न पाये रे हिया
वाह रे प्यार  वाह रे वाह
रंगीला रे

दुःख मेरा दूल्हा है  बिरहा है डोली
आँसू की साड़ी है  आहों की चोली
आग मैं पियूँ रे  जैसे हो पानी
नारी दिवानी हूँ  पीड़ा की रानी
मनवा ये जले है  जग सारा छले है
साँस क्यों चले है पिया
वाह रे प्यार  वाह रे वाह
रंगीला रे

मैंने तो सींची रे  तेरी ये राहें
बाहों में तेरी क्यूँ औरों की बाहें
कैसे तू भूला वो  फूलों सी रातें
समझी जब आँखों ने आँखों की बातें
गाँव भर छूटा रे  सपना हर टूटा रे
फिर भी तू रूठा रे पिया
वाह रे प्यार  वाह रे वाह
रंगीला रे
……………………………………………………………..
Rangeela re-Prem pujari 1970

Artist: Waheeda Rehman

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP