कैसे जीत लेते हैं लोग दिल-साजन बिना सुहागन १९७८
अपनी ख्याल अपना अपना. इन्दीवर के गीत के लिए
बढ़िया धुन बनायीं है उषा खन्ना ने. उषा खन्ना के बारे
में एक बात सुनी जाती थी कि वे गीतकार को सम्मान
देते हुए गाने की धुनें बाद में ही तैयार करना पसंद
करतीं थीं.
इस गीत के साथ मजेदार वाकया है, इसके अंतरे के बोलों
की जगह हम चक्के में चक्का, चक्के में गाडी फिट करके
गाया करते थे. मोहल्ले के एक शंकर जयकिशन भक्त वक्र
दृष्टि से हमें देखा करते थे. उनकी वक्र दृष्टि पर हम ज्यादा
ध्यान इसलिए नहीं देते थे क्यूंकि हमें उनसे गाने सुनने
का काम पड जाता था कभी कभी. उनके पास चोगे वाला
भोंपू जो था जिसके अंदर देख के कुत्ता भौंकता था किसी
ज़माने में.
गीत के बोल:
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कोई तो सिका दे हमें प्यार का सलीका
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कोई महबूबा हमको चाहे
प्यार के वादे कर के निभाये
आँखों में ये ख्वाब लिए हम
सारे जहाँ में भटका किये हम
हाय रे दिल की कमनसीबी
हमको दिल मिला ना किसी रूप की कली का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कोई तो सिका दे हमें प्यार का सलीका
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
हमने ना देखा जुल्फों का सावन
हमने ना थामा किसी का दामन
ले के चले कोई हमको वहाँ पर
रहते हैं दिलदार जहाँ पर
हाय रे दिल की कमनसीबी
हमको ना मिला पता दिलदार की गली का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
कोई तो सिका दे हमें प्यार का सलीका
कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का
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Kaise jeet lete hain log dil kisi ka-Saajan bina suhagan 1978
Artists: Vinode Mehra, Aarti Chopra