साँसों में कभी दिल में कभी-परछाईयाँ १९७२
डालने के बाद ओझल हो जाती हैं. समय के साथ फ़िल्में तो
भुला दी जाती हैं मगर उनके गीत जनता को याद रह जाते हैं.
विनोद खन्ना के शुरू के दौर की फिल्म है परछाईयाँ. ये फिल्म
सन १९७२ में आई. फिल्म में विनोद खन्ना के साथ एक अनजान
चेहरा रेशमा है. फिल्म में राहुल देव बर्मन का संगीत है इसलिए
इसके गीत कभी कभार सुन लिया करते हैं. गीत के बोल लिखा
हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने और इसे रफ़ी संग आशा ने गाया है.
गीत के बोल:
साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हमसे वफ़ा करना
साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हमसे वफ़ा करना
जाने प्यार निभाना दीवाने दिल की लगी के
जाने प्यार निभाना दीवाने दिल की लगी के
क्या है मोहब्बत ज़माना हमसे ये सीखे
प्यार हमने किया प्यार हमको सदा करना
साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हमसे वफ़ा करना
आये ख़ुशियों का मौसम हा हा
के आये ग़म का महीना
आये ख़ुशियों का मौसम आ हा हा
के आये ग़म का महीना
तुम्हीं पे मरना तुम्हारे संग-संग है जीना
कभी होयें ना जुदा बस इतनी दुआ करना, आ
साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हमसे वफ़ा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हमसे वफ़ा करना
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Saanson mein kabhi-Parchhaiyan 1972
Artists: Vinod Khanna, Reshma