बैठे हैं रहगुज़र पर-४० डेज़ १९५९
हैं. उनके अनेकों फ़िल्मी, गैर फ़िल्मी गीत लोकप्रिय हैं. आज
सुनेंगे एक कम लोकप्रिय संगीतकार की बेहद लोकप्रिय रचना.
फिल्म ४० डेज़ सन १९५९ की एक फिल्म है जिसका निर्देशन
द्वारका खोसला ने किया था.
आशा भोंसले के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है ये. इसके
संगीतकार हैं बाबुल. बाबुल ने बिपिन के साथ मिल के जोड़ी
भी बनाई थी जो बिपिन-बाबुल के नाम से जानी जाती है. आम
संगीत प्रेमी उनके नाम से वाकिफ नहीं हैं.
प्रेमनाथ और शकीला की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म
में के एन सिंह, निशी और शम्मी भी मौजूद हैं.
किसी गीत के बोल कितने महत्त्वपूर्ण होते हैं उसकी गुणवत्ता
निर्धारण में उसका एक उदाहरण है ये गीत जिसके बोल लिखे
हैं कैफ़ी आज़मी ने. इस गीत में अरमान की नर्म बाहें लचका
मारी हैं.
गीत के बोल:
बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
शायद वो दर्द जानें शायद वो लौट आये
बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
बैठे हैं रहगुज़र पर
आकाश पर सितारे चल चल के थम गए हैं
आकाश पर सितारे चल चल के थम गए हैं
हो ओ ओ ओ ओ
शबनम के सर्द आँसू फूलों पे जम गए हैं
हम पर नहीं किसी पर ऐ काश रहम खाये
शायद वो दर्द जानें शायद वो लौट आये
बैठे हैं रहगुज़र पर
राहों में खो गई हैं हसरत भरी निगाहें
राहों में खो गई हैं हसरत भरी निगाहें
हो ओ ओ ओ ओ
कब से लचक रही हैं अरमान की नर्म बाहें
हर मोड़ पर तमन्ना आहट उसी की पाये
शायद वो दर्द जाने शायद वो लौट आये
बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
बैठे हैं रहगुज़र पर
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Baithe hain rehguzar par-40 Days
Artist: Shakila
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