Apr 6, 2017

धरती से दूर गोरे बादलों के पार-संगदिल १९५२

फिल्म संगदिल से एक उत्कृष्ट रचना सुनते हैं आज. गीत दत्त
के मुखारविंद से प्रकट हुई वाणी में ये गीत रचना राजेंद्र कृष्ण
की है और इसकी धुनबंदी की है सज्जाद ने. गीत में आशा की
आवाज़ भी है. नायक नायिका के बचपन का रोल कर रहे
बाल कलाकारों पर इसे फिल्माया गया है.

फिल्म संगदिल से आपको २ गीत सुनवा चुके हैं पहले. फिल्म से
ये तीसरा गीत प्रस्तुत ह.




गीत के बोल:

धरती से दूर गोरे बादलों के पार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार
धरती से दूर गोरे बादलों के पार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार

छोटी सी अपनी दुनिया बसाएं
प्यार का जिसमें खेल रचाएं
चाँद को अपनी नाव बना के
सुंदर तारे तोड़ के लाएं

दुनिया से हो अपनी दुनिया निराली
जग से निराला अपना प्यार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार

धरती से दूर गोरे बादलों के पार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार

गोद में ले के रात की रानी
रोज़ सुनाए अपनी कहानी
छम छम करता आया सवेरा
फूलों की बेर जाए निशानी
शबनम आ के मुखड़ा चूमे
रिमझिम बरसे मस्त फुहार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार
धरती से दूर गोरे बादलों के पार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार आ जा
आ जा बसा लें नया संसार
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Dharti se door gore badlon ke paar-Sangdil 1952

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