हमसे रूठा ना करो-त्रिवेणी १९८६
है. प्रेम गीत फिल्म हो, निकाह, ऐतबार या जवाब, वे नायक
रहे हों फिल्म के या खलनायक ग़ज़लें ज़रूर हैं.
सन १९८५ की फिल्म जवाब में उन्होंने एक गायक की भूमिका
निभाई थी. इसका एक गीत काफी लोकप्रिय हुआ था-मितवा ओ
मितवा-पंकज उधास का गाया हुआ.
आज जो गीत हम आपको सुनवा रहाअहे हैं वो टेक्निकली गीत
है या गज़ल ये आप डिसाइड करें. अनजान के लिखे गीत को
सुरेश वाडकर ने गाया है लक्ष्मी प्यारे के संगीत निर्देशन में.
गीत के बोल:
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
तुम तो गैरों से भी मिलते हो हबीबों की तरह
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
तुम तो गैरों से भी मिलते हो हबीबों की तरह
हमसे रूठा न करो
तेरी चाहत तेरी सोहबत का ये करिश्मा है
तेरी चाहत तेरी सोहबत का ये करिश्मा है
ये करिश्मा है
बे-अदब करने लगे
बे-अदब करने लगे तुम भी अदीबो की तरह
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
हमसे रूठा न करो
दोस्ती लफ्ज़ का मतलब दगा ना हो जाए
दोस्ती लफ्ज़ का मतलब दगा ना हो जाए
दगा ना हो जाए
बेवफाई न करो
बेवफाई न करो तुम भी रकीबों की तरह
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
हमसे रूठा न करो
मैं मसीहा तो नहीं ऐ मेरी महबूब मगर
मैं मसीहा तो नहीं ऐ मेरी महबूब मगर
मेरी महबूब मगर
गम तेरे मैंने उठाये
गम तेरे मैंने उठाये हैं सलीबों की तरह
हमसे रूठा न करो रूठे नसीबों की तरह
तुम तो गैरों से भी मिलते हो हबीबों की तरह
हमसे रूठा न करो
हमसे रूठा न करो
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Hamse rootha na karo-Triveni 1986
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