गुस्सा छोड़ दिल न तोड़-मकसद १९८४
हैं फिल्म मकसद से. हरियाली और खुशहाली से भरपूर इन दक्षिण
भारत निर्मित हिंदी फिल्मों ने एक समय आम जनता का खूब
मनोरंजन किया है.
गीत गाया है किशोर कुमार ने. गीत के तीसरे अंतरे में कुछ ऐसा
होता है जिसे देख के वो कहावत याद आती है-गई भैंस पानी में.
ये आपको वीडियो देखने पर ही पता चल पायेगा. इस पोस्ट को
कॉपी करने से मालूम नहीं पड़ेगा.
गीत के बोल:
आ
हे गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
किस माँ ने जन्म दिया धो के हाथ तू पीछे पड़ी
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
वणक्कम
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
ऊ ऊ ऊ ऊ
डन्डे से क्यों मारे हम तो आँखों से मर जाएंगे
तू जो कहे तो गली क्या दुनिया से गुज़र जाएंगे
आलाबू आलाबू आलाबू आलाबू
आलाबू आलांबू आलांबू आलाबू
वणक्कम
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
ऊँची हवेली वाली ये आदत कहाँ से सीखी
लड्डू जैसी मीठी उई मिर्ची जैसी तीखी
आलाबू आलाबू आलाबू आलाबू
आलाबू आलांबू आलांबू आलाबू
वणक्कम
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
जितना हसीन बदन है दिल भी हसीं बना ले
डंक मार ले लेकिन शहद भी ज़रा पिला दे
आलाबू आलाबू आलाबू आलाबू
आलाबू आलाबू आलाबू आलाबू
वणक्कम
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
किस माँ ने जन्म दिया धो के हाथ तू पीछे पड़ी
गुस्सा छोड़ दिल न तोड़ बिगड़ न घड़ी घड़ी
वणक्कम
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Gussa chhod dil na tod-Maqsad 1984
Artists: Jeetendra, Jaya Prada

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