वो चाँद खिला-अनाड़ी १९५९
की आवाज़ में. फिल्म संगीत क्षेत्र में दत्ताराम ठेका नाम
की एक चीज़ है जो चर्चित रही अपने समय में. इस गीत
में ताल वाद्य की जो ताल है उसे दत्ताराम ठेका बोला जाता
है फ़िल्मी दुनिया में.
शैलेन्द्र का गीत है और शंकर जयकिशन की धुन.
गीत के बोल:
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
समझने वाले समझ गये हैं ना समझे
ना समझे वो अनाड़ी हैं
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
समझने वाले समझ गये हैं ना समझे
ना समझे वो अनाड़ी हैं
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
चाँदी की चमकती राहें वो देखो झूम झूम के बुलाये
चाँदी की चमकती राहें वो देखो झूम झूम के बुलाये
किरणों ने पसारी बाहें के अरमां नाच नाच लहराये
बाजे दिल के तार गाये ये बहार उभरे हैं प्यार जीवन में
बाजे दिल के तार गाये ये बहार उभरे हैं प्यार जीवन में
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
समझने वाले समझ गये हैं ना समझे
ना समझे वो अनाड़ी हैं
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
किरणों ने चुनरिया तानी बहारें किस पे आज हैं दीवानी
किरणों ने चुनरिया तानी बहारें किस पे आज हैं दीवानी
चंदा की चाल मस्तानी है पागल जिस पे रात की रानी
तारों का जाल ले ले दिल निकाल पूछो ना हाल मेरे दिल का
तारों का जाल ले ले दिल निकाल पूछो ना हाल मेरे दिल का
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
समझने वाले समझ गये हैं ना समझे
ना समझे वो अनाड़ी हैं
वो चाँद खिला वो तारे हँसे ये रात अजब मतवारी है
……………………………………………….
Wo chand khila-Anandi 1959
Artists: Nutan, Raj Kapoor
0 comments:
Post a Comment