आपके कमरे में कोई-यादों की बारात १९७३
किस्म का गीत है जो काफी लोकप्रिय हुआ. किसी विलायती
फिल्म में ऐसी ही कुछ स्टेज वाला कार्यक्रम देख कर निर्माता
या निर्देशक के दिमाग में कुछ करने की सूझी. गीतकार
और संगीतकार से बात की गयी और इसका नतीजा निकला
ये गीत. इसे आम जनता कोम्पिटीशन जैसा कुछ बोलती है
और ये भी सुना जाता है कि ऐसा ही कुछ इसी निर्माता की
एक फिल्म हम किसी से कम नहीं में भी है.
इस गीत के बारे में अगर दो शब्दों में कुछ कहना हो तो
जिस ओर ये गीत इशारा करता है उससे आज के दौर की
एक टर्म-लिव इन याद आ जाती है. हालाँकि इस गीत में
उस संभावना की एक झलक मात्र है. कुंवारों के कमरे में
वरना मक्खी, मच्छर, खटमल और छिपकलियों के सिवा
और कौन मिलेगा ??
गीत के बोल:
आपके कमरे में कोई रहता है
हम नहीं कहते ज़माना कहता है
आपके कमरे में कोई रहता है
हम आज उधर से निकले तो बड़े इंतजाम से
गिरा रहा था कोई परदा हाय सरे शाम से
उधर आपकी फोटो से सजी दीवार पे
पड़ा हुआ था एक साया बड़े आराम से
आपके कमरे में कोई रहता है
मगर जो एक दिन मैं गुज़री गली में सरकार की
तभी से चलती है दिल पे हाय तलवार सी
दबी दबी हल्की हल्की हँसी की तनाव में
मचल रही थी चूड़ी भी हाय छनकार सी
ये ना समझो कोई गाफिल रहता है
हम नहीं कहते ज़माना कहता है
अगर मैं कहूं जो देखा नहीं था वो कोई ख्वाब
पड़ा था टेबल पे चश्मा वो किसका जनाब
गोरे गले में वो मफलर था किस हसीन का
जरा हाथ दिल पे रख के हमें दीजिये जवाब
आपके कमरे में कोई रहता है
दिल मिल गए तो हम खिल गए
के दिल दिल मिले जहाँ में कभू कभू
अरे हाँ हाँ अरे हाँ हाँ
अरे हाँ हाँ अरे वाह वाह
यारों के लिए है मेरी दुआ
आ जाए वो दिन गले मिल के बीते जवानी
तुमको भी मिले दिन बहार का
रात बहार की यूँ ही झूमे ये जिंदगानी
दिल मिल गए तो हम खिल गए
के दिल दिल मिले जहाँ में कभू कभू
दम मारो दम मिट जाए गम
बोलो सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राम
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Aapke kamre mein koi-Yaadon ki baraat 1973
Artists: Tariq, Zeenat Aman, Vijay Arora
2 comments:
बहुत बहुत धन्यवाद
आपको भी
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