मेरी गागर में सागर-जगद्गुरु शंकराचार्य १९५५
हमें सुनवाए हैं. सोफ्ट किस्म का संगीत देने वाले व्यास
ने सभी प्रकार के गीत रचे हैं मगर उनके संगीत में शोर
नाम का एलिमेन्ट आपको नज़र नहीं आएगा.
सन १९५५ की फिल्म जगद्गुरु शंकराचार्य से एक गीत
आपको सुनवाते हैं जिसे भरत व्यास ने लिखा है और
गीता दत्त ने गाया है. इस फिल्म के प्रमुख सितारे हैं
अभी भट्टाचार्य और सुलोचना चटर्जी.
गीत के बोल:
मेरी गागर में सागर है रूप का
सहा जाए न मौसम ये धूप का
मेरी सासू बड़ी है क्रूर
उम्र है छोटी और पनघट दूर
पांव मेरे थक थक जायें
पांव मेरे थक थक जायें
मेरी गागर में सागर है रूप का
सहा जाए न मौसम ये धूप का
मेरी सासू बड़ी है क्रूर
उम्र है छोटी और पनघट दूर
पांव मेरे थक थक जायें
पांव मेरे थक थक जायें
ओ बलखाये कमर शरमाये नज़र
लहराए री बाली उमरिया
ओ कभी इधर उधर चले हवा फर फर
जाए उड़ उड़ मेरी चुनरिया
जाए उड़ उड़ मेरी चुनरिया
जब बाजी रे छम छम पायल
लोग कहते हैं क्या
कहते हैं हुए हम घायल
देख दुनिया के ये रंग ढंग
दिया रे दिया मैं तो हुई तंग
कलेजा करे धक् धक् धक्
कलेजा करे धक् धक् धक्
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Meri gagar mein-Jagadguru Shankaracharya 1955
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