छूने न दूँगी हाथ रे-जिंदगी १९६४
गीत साथ गाये हैं. कुछ ऐसे भी हैं जिनमें तीसरी आवाज़ की भी
मिलावट है.
आज सुनते हैं सन १९६४ की फिल्म जिंदगी से एक गीत. फिल्म के
अधिकाँश गीत लोकप्रिय हैं. संगीत निर्देशकों के पास बढ़िया विकल्प
होता था लता और आशा का जब दो नायिकाओं वाले गीत बनाने होते
मगर ऐसा हर स्तिथि में नहीं हो पाता था. गायिकाओं का चयन
बहुत से फेक्टर्स पर निर्भर करता था.
छोटे साइज़ के इस गीत को लिखा है हसरत ने और संगीत तैयार किया
है शंकर जयकिशन ने.
गीत के बोल:
छूने न दूँगी हाथ रे नजरियों से दिल भर दूँगी
छूने न दूँगी हाथ रे नजरियों से दिल भर दूँगी
बैठी रहूँगी सारी रात रे नजरियों से दिल भर दूँगी
दिल की हसरत न कभी दिल से निकलने दूँगी
प्यार का कोई भी जादू न चलने दूँगी
इश्क़ की आग बड़ी तेज़ है हमने माना
दिल के मोती को हरगिज़ न पिघलने दूँगी
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
होती रहेगी मुलाकात रे नजरियों से दिल भर दूँगी
छूने न दूँगी हाथ रे नजरियों से दिल भर दूँगी
बैठी रहूँगी सारी रात रे नजरियों से दिल भर दूँगी
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Chhoone ne doongi-Zindagi 1964
2 comments:
बहुत दिन बाद इधर आना हुआ और हमेशा की तरह कुछ अलग सा पाया। धन्यवाद!
कोशिश यही रहती है कुछ अलग सा हो. आपका स्वागत है एक बार फिर.
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