ओ हंसिनी-ज़हरीला इंसान १९७४
ऐसी ही फिल्म है ज़हरीला इंसान जो अपने एक गीत की
वजह से पहचानी जाती है. वो गीत हम आज सुनेंगे. ये
किशोर कुमार का गाया एक लोकप्रिय गीत है जिसे लिखा
है मजरूह सुल्तानपुरी ने.
फिल्म के स्टारकास्ट के बारे में बाद में बतलायेंगे फिलहाल
ये गीत सुब कर काम चलायें. हंस और हंस के जोड़े पर
फ़िल्मी गीत बने हैं मगर हंसिनी(हँस की फीमेल) पर बना
ये एकमात्र हिंदी फ़िल्मी गीत है.
गीत के बोल:
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के कहाँ उड़ चली
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के कहाँ उड़ चली
आ जा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
आ जा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
हो आ जा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
हो आ जा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के कहाँ उड़ चली
देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
जीवन ताल में भटक रहा रे तेरा हंसा
हो देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
हो जीवन ताल में भटक रहा रे तेरा हंसा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के कहाँ उड़ चली
कहाँ उड़ चली कहाँ उड़ चली
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O hansini-Zehreela Insaan 1974
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