अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए-अनोखा १९७५
पेश है १५ अगस्त के अवसर पर. गीत में सन्देश है एक. नई पीढ़ी
को इसे एक बार अवश्य सुनना चाहिए.
इन्दीवर के बोल हैं, मुकेश की आवाज़ और कल्याणजी आनंदजी का
संगीत.
गीत के बोल:
अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए
अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए
आज जहाँ है रेत कल वहाँ खेत मुस्कुराए
आज जहाँ है रेत कल वहाँ खेत मुस्कुराए
ऐसा करो
ऐसा करो के गाँव-गाँव में गंगा लहराए
ऐसा करो के गाँव-गाँव में गंगा लहराए
अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए
मेहनत का ही नाम है वो जिसको क़िस्मत कहते हैं
जिसको क़िस्मत कहते हैं
दो हाथों का खेल है वो जिसको दौलत कहते हैं
जिसको दौलत कहते हैं
हम जहाँ पसीना बहाएँगे मोती वहाँ उगाएँगे
मोती वहाँ उगाएँगे
नदियाँ बाँधें नहर निकालें ख़ुशहाली छाए
नदियाँ बाँधें नहर निकालें ख़ुशहाली छाए
ऐसा करो के गाँव-गाँव में गंगा लहराए
अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए
कभी भी हाथ न फैलाए
देश की हर एक चीज़ है अपनी क्यों अपने हाथों क्यूँ तोड़ें
हम अपने हाथों क्यूँ तोड़ें
इसको बचाना फ़र्ज़ है अपना क्यूँ सरकार पर छोड़ें
हम क्यूँ सरकार पर छोड़ें
अपना भारत सारा हमें प्रांत-प्रांत है प्यारा
हमें प्रांत-प्रांत है प्यारा
आपस के ही इन दंगों में
इन दंगों में
आपस के ही इन दंगों में देश न जल जाए
ऐसा करो के गाँव-गाँव में गंगा लहराए
अपना देश विदेश के आगे हाथ न फैलाए
कभी भी हाथ न फैलाए
आज जहाँ है रेत कल वहाँ खेत मुस्कुराए
कल वहाँ खेत मुस्कुराए
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Apna desh videsh ke aage-Anokha 1975
Artists: AK Hangal, Kids
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