दारू की बोतल में-मजबूर १९७४
का सार है. फिल्म अपने ज़माने की एक चर्चित फिल्म है
और इसके गीत भी काफी बजे थे किसी ज़माने में. प्रस्तुत
गीत काफी लोकप्रिय हुआ था. इसमें दारू का जिक्र जो है.
इसके रचनाकार हैं आनंद बक्षी. किशोर के गाये इस गीत की
धुन लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने बनाई है. गीत फिल्माया गया है
प्राण और जयश्री तलपडे उर्फ जयश्री टी पर.
गीत के बोल:
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
दारू की बोतल में काहे पानी भरता है
फिर ना कहना माइकल दारू पी के दंगा करता है
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
शी शी शी चीं ए कैसा करता ऐसा काहे को होता
शी शी शी चीं ए कैसा करता ऐसा काहे को होता
देख ले जिस दिन माइकल को रात को सेठ नहीं सोता
ख़ुद चोरी करता है लेकिन चोर से डरता है
फिर ना कहना माइकल दारू पी के दंगा करता है
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
जंगल में हैं मोर बड़े शहर में हैं चोर बड़े
जंगल में हैं मोर बड़े शहर में हैं चोर बड़े
अपने भी उस्ताद यहाँ पड़े हुए और बड़े
माइकल तो बस लोगों की बस ख़ाली जेब कतरता है
फिर ना कहना माइकल दारू पी के दंगा करता है
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
साल महीने के लिए खाने-पीने के लिए
अरे साल महीने के लिए खाने-पीने के लिए
कितना पैसा चाहिए आख़िर जीने के लिए
लोग दीवाना हैं जो इस पैसे पे मरता है
फिर ना कहना माइकल दारू पी के दंगा करता है
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
दारू की बोतल में काहे पानी भरता है
फिर ना कहना माइकल दारू पी के दंगा करता है
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
हे हांव सो सायबा ला ला ला ला ला
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Daroo ki botal mein-Majboor 1974
Artists: Pran, Jayshri T
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